बिलासपुर— देश के प्रमुख आदिवासी अंचल में स्थित सीवीआरयू की नई शिक्षा नीति के कियान्नवयन में अहम् भूमिका है। विज्ञान, कला और टेक्नालॉजी के नवाचारों में सीवीआरयू का स्थान सर्वोत्तम है। सीवीआरयू ने आज से तीस साल पहले से ही नई शिक्षा नीतियों का ना केवल सम्मान किया है। बल्कि लागू कर नई पौध भी तैयार किया है। यह बातें डॉ.सीवी रमन् विश्विद्यालय के कुलाधिपति डॉ.संतोष चौबे ने पत्रकार वार्ता के दौरान कही। ड़ॉ चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा क्षेत्र में अलख जगाते हुए लगातार परिश्रम से सीवीआरयू को नैक का टैग हासिल किया है। निश्चित रूप से विश्वविद्यालय के लिए उपलब्धि है। जवाब सवाल के दौरान कुलाधिपति ने नई शिक्षा नीति में छत्तीसगढ़ की विविधता और सांस्कृति गुणवत्ता को शामिल किए जाने पर जोर दिया। इस दौरान संतोष चौबे ने विश्वविद्यालय की उपलब्धिों पर भी प्रकाश डालाय़
कुलाधिपति डॉ.संतोष चौबे ने बताया कि प्रदेश के कोटा आदिवासी अंचल में 2006 डॉ. सी. व्ही. रमन विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। विश्वविद्यालय ने आदिवासी अंचल के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले आदिवासी और पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों में ज्ञान की ज्योति जगाने का काम किया है। विशेषकर छात्राओं को विज्ञान, तकनीक, प्रबंधन, कला, साहित्य, संस्कृति और भाषा से जोड़ने का निरंतर प्रयास किया है।
चौबे ने बताया कि विश्वविद्यालय में नाम के अनुरूप विश्वस्तरीय सुविधाएं हैं। विश्वविद्यालय को देश में स्थापित संस्थाओं की तरफ से मूल्यांकन में हमेशा सर्वेश्रेष्ठ स्थान हासिल हुआ है। इसी कम में विश्वविद्यालय को पठन पाठन और अन्य क्षेत्रों में संचालित कार्यों को देखते हुए ए ग्रेड का दर्जा हासिल हुआ है। सीवीआरयू को नैक ए ग्रेड प्राप्त करने वाला प्रदेश का पहला निजी विश्वविद्यालय है। इसके साथ ही हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में हम और भी बेहतर काम करें।
संतोष चौबे ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रयास विश्वविद्यालय ने इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया है। नए उद्यमी तैयार करने और स्वरोजगार स्थापित करने में इसकी भूमिका अहम् होगी। इसी तरह भारत सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री कौशल केंद्र भी प्रदान किया गया है। इसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थी पढ़ाई के साथ कौशल में निपुणता हासिल कर रहे है। इतना ही नहीं, कौशल में दक्षता के बाद विद्यार्थियों को नेशनल और इंटरनेशनल जॉब भी विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रदान किया जाता है। इसके लिए देश और विदेश की विख्यात कंपनियां यहां आकर विद्यार्थियों का चयन करती हैं। आदिवासी महिलाओं, कृषकों और युवाओं को हर्बल उत्पाद के साथ वन औषधियां और अन्य वनोत्पाद से बाजार के मांग के अनुरूप उत्पादन तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है।