दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर, 2023) के लिए आर्थिक विकास के जो आंकड़े आए हैं, उसने घरेलू व वैश्विक आर्थिक शोध एजेंसियों के अनुमानों को धवस्त कर दिया है।
आरबीआई के गवर्नर ने कुछ दिन पहले दूसरी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन की बात कही थी, लेकिन शायद उनको भी इस बात की उम्मीद ना हो कि केंद्रीय बैंक के अनुमान 6.5 फीसद से 1.2 फीसद ज्यादा (7.7 फीसद) की विकास दर भारतीय इकोनॉमी लगाने वाली है। ऐसे में अब आरबीआई चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास को लेकर क्या अनुमान लगाता है, इस पर सभी की नजर रहेगी।
अगले हफ्ते यानी 08 दिसंबर, 2023 को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआई गवर्नर की तरफ से अर्थव्यवस्ता की दशा को लेकर नए अनुमान लगाए जाने की संभावना है। अक्टूबर, 2023 में पिछली समीक्षा में आरबीआई ने 6.5 फीसद विकास दर रहने की बात कही थी।
उधर, दूसरी तिमाही में भारत की विकास दर में अपेक्षा से अधिक तेजी रहने से तमाम वैश्विक एजेंसियां अचंभित हैं और उन्होंने मोटे तौर पर यह स्वीकार कर लिया है कि भारत की सालाना विकास दर उम्मीद से बेहतर रहने वाली है। बोफा (बीओएएफ) और सिटीग्रुप सहित कई ब्रोकरेज हाउस ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर के अपने पूर्वानुमान को बढ़ा दिया है। इन सभी कंपनियों का मानना है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष में सबसे तेज गति से बढ़ेगा।
सितंबर तिमाही में भारत की विकास दर 7.6 प्रतिशत रही, जो रायटर के पोल द्वारा लगाए गए 6.8 प्रतिशत के अनुमान से बहुत ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत की विकास दर 7.7 प्रतिशत रही है। भारतीय इकोनॉमी पर करीबी नजर रखने वाले किंग्स कॉलेज, लंदन के एसोसिएट रिसर्च फेलो क्यूनगुन किम ने लिखा है कि भारत के जीडीपी के आंकड़ों से सभी अंचभित हैं। दूसरी तिमाही में औसत अनुमान और वास्तविक वृद्धि दर के बीच 1.3 फीसद का बहुत ही बड़ा अंतर है। भारत के लिए यह शानदार खबर है, लेकिन निश्चित तौर पर विश्लेषकों को अब ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।
क्या मान रहे विश्लेषक?
विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर के जीडीपी के आंकड़े भी ऐसे ही चकित करने वाले होंगे। वजह यह है कि दूसरी तिमाही से घरेलू मांग में वृद्धि का जो सिलसिला शुरू हुआ है वह त्योहारी सीजन (तीसरी सीजन) में और जोरों पर है। मसलन, अक्टूबर और नवंबर में वाहनों की बिक्री पिछली तिमाही से बेहतर रही है। बिजली की खपत की रफ्तार लगातार बढ़ी हुई है। जीएसटी संग्रह में रिकार्ड वृद्धि का सिलसिला जारी है।
इसके अलावा नवंबर और दिसंबर में आम तौर पर शादियों और दूसरी वजहों से घरेलू मांग सामान्य से ज्यादा रहती है। आरबीआई ने तीसरी तिमाही में विकास दर के घट कर छह फीसद पर आने की बात कही थी। वैसे आरबीआई के अलावा एडीबी, विश्व बैंक, आईएमएफ जैसी एजेंसियों को भी भारतीय इकोनॉमी को लेकर अपनी सोच बदलनी होगी। एडीबी, ओइसीडी और आईएएमएफ ने इस साल के लिए भारत की जीडीपी में 6.3 फीसद वृद्धि दर की बात कही थी।
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