नई दिल्ली | डेस्क : उद्योगपति गौतम अदानी पर अमरीका में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं. उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दायर किया गया है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है. जयराम रमेश ने लिखा है कि कांग्रेस ऐसे आरोप जनवरी 2023 से लगा रही है और गौतम अदानी से जुड़े मामलों पर जेपीसी की मांग कर रही है.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस मामले पर सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, “अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अदानी पर 2200 करोड़ रुपये के रिश्वत का आरोप लगाया है. यह रकम अदानी रिन्यूल एनर्जी के फ़ायदे के लिए बाज़ार की कीमतों से ज़्यादा दर पर बिजली ख़रीदने के लिए भारतीय अधिकारियों को दिया गया.”
जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “अदानी भूल गए कि अमेरिका में मोदी का शासन नहीं है जहां वो ईडी, सेबी और सीबीआई से आसानी से बच सकते हैं.”
बीबीसी के अनुसार बुधवार को न्यूयॉर्क में दायर किया गया आपराधिक मामला, भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक, 62 साल के गौतम अदानी के लिए एक बड़ा झटका है. अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया कि अदानी और उनकी कंपनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी अक्षय ऊर्जा (रिन्यूल एनर्जी) कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकारियों को भुगतान करने पर सहमति जताई थी.
इस कॉन्ट्रेक्ट से कंपनी को आने वाले 20 सालों में दो अरब डॉलर से अधिक के मुनाफ़ा होने की उम्मीद थी.
अदानी ग्रुप ने इस विषय में प्रतिक्रिया के अनुरोध का फ़िलहाल कोई जवाब नहीं दिया है.
बीबीसी के अनुसार अदानी समूह साल 2023 से ही अमेरिका में शक के घेरे में है. उस साल हिंडनबर्ग नाम की कंपनी ने अदानी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था.
कंपनी के दावे को गौतम अदानी ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था लेकिन उस ख़बर के सामने आने के बाद अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर धड़ाम से गिरे थे.
रिश्वत वाली इस जांच के बारे में भी कई महीनों से ख़बर आ रही थीं. अभियोजकों ने कहा है कि इस मामले की जांच साल 2022 में ही शुरू कर दी गई थी.
आरोप है कि इनके प्रबंधकों ने क़र्ज़ और बॉन्ड्स के रूप में तीन अरब डॉलर जुटाए. इसमें कुछ धन अमेरिकी फर्म्स से भी जुटाया गया था. आरोप है कि ये पैसे रिश्वत विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ और भ्रामक बयानों के ज़रिए जुटाए गए.
ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क के अटॉर्नी ब्रियोन पीस ने आरोपों में कहा है, “जैसा कि आरोप लगाया गया है, अभियुक्तों ने अरबों डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारत के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की एक गोपनीय योजना बनाई थी और रिश्वतखोरी योजना के बारे में झूठ बोला क्योंकि वे अमेरिकी और वैश्विक निवेशकों से पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे थे.”
ब्रियोन पीस ने कहा, ”मेरा कार्यालय अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके अलावा निवेशकों को उन लोगों से बचाना है, जो हमारे वित्तीय बाजारों की विश्वसनीयता की क़ीमत पर ख़ुद को अमीर बनाना चाहते हैं.”
अधिकारियों का कहना है कि रिश्वतखोरी योजना को आगे बढ़ाने के लिए कई मौक़ों पर अदानी ने ख़ुद सरकारी अधिकारियों से मुलाक़ात की.
अमेरिका के अटॉर्नी ऑफिस ने इस मामले में जिन लोगों के ख़िलाफ़ आरोप लगाया है, उनमें गौतम अदानी के अलावा सात अन्य लोग हैं. इन सात लोगों में सागर आर अदानी, विनीत एस जैन, रंजित गुप्ता, रूपेश अग्रवाल,दीपक मल्होत्रा, सौरभ अग्रवाल और सिरील कैबनीज़ शामिल हैं.
अडानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़रीबी सहयोगी माने जाते हैं. भारत की विपक्षी पार्टियां लंबे समय से आरोप लगाती रही हैं कि राजनीतिक संबंध के कारण अडानी को फ़ायदा मिलता रहा है. हालांकि अडानी इन आरोपों को ख़ारिज करते रहे हैं.
अमेरिका में राष्ट्रपति अटॉर्नी की नियुक्ति करता है. यह मामला तब आया है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ हफ़्ते पहले ही चुनाव जीता है.
ट्रंप ने अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट में आमूलचूल परिवर्तन की बात कही है. पिछले हफ़्ते सोशल मीडिया पर अडानी ने ट्रंप को जीत पर बधाई दी थी और अमेरिका में 10 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी.
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