ओडिशा के बालेश्वर में शुक्रवार शाम हुई ट्रेन दुर्घटना में जीरआपी ने आपराधिक लापरवाही के उल्लेख के साथ एफआइआर दर्ज की है। आइपीसी और रेलवे अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज एफआइआर में किसी को नामजद नहीं किया गया है। इस बीच रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने सोमवार को दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है। जबकि सीबीआइ मंगलवार से मामले की जांच आरंभ करेगी।
जानकारी के अनुसार यह जांच सीबीआई के दिल्ली स्थित मुख्यालय की स्पेशल क्राइम यूनिट द्वारा किए जाने की संभावना है। दुर्घटना की जांच सीबीआइ से कराने पर विपक्ष की आपत्ति पर सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि शुरुआती जांच में ‘जानबूझकर’ सिस्टम से छेड़छाड़ के स्पष्ट संकेत मिले हैं। इस कारण केंद्रीय एजेंसी से गहन जांच कराने की आवश्यकता महसूस की गई है।
सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि अभी तक हुई जांच में कई ऐसे अहम तथ्य सामने आए हैं जो किसी पेशेवर एजेंसी से जांच की आवश्यकता को बल देते हैं। जब तक इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम से जानबूझकर छेड़छाड़ नहीं होगी, तब तक मेन लाइन के लिए तय ट्रेन का रूट लूप लाइन में बदला जाना संभव नहीं है। बता दें, बहानगा में कोरोमंडल एक्सप्रेस के मालगाड़ी से टकराने के बाद 275 लोगों की मृत्यु हुई और 1,175 घायल हैं।
तीन दशक की भीषणतम ट्रेन दुर्घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पास ही दूसरी लाइन से गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस एसएमवी-बेंगलुरु-हावड़ा के आखिरी डिब्बों से टकराए थे। रविवार को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दुर्घटना की सीबीआइ की संस्तुति किए जाने की बात कही थी।
प्रक्रिया के अनुसार सीबीआइ जीआरपी बालेश्वर द्वारा दर्ज केस संख्या 64 की जांच अपने हाथ में लेगी और नई एफआइआर दर्ज करेगी। आरोपपत्र दाखिल करने के समय सीबीआइ आवश्यकतानुसार आरोप बढ़ाएगी या घटाएगी। जीआरपी ने एफआइआर में आइपीसी की धारा 337, 338, 304ए (लापरवाही से मौत का मामला) और धारा 34 (पूर्व नियोजित योजना के तहत एक उद्देश्य) लगाई हैं।
इसके साथ ही रेलवे अधिनियम की धारा 153 (रेल यात्रियों की जान जोखिम में डालने वाली गैरकानूनी व लापरवाही भरी गतिविधि), 154 और 175 (जान को खतरा पैदा करना) का भी उल्लेख एफआइआर में किया गया है।
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