वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार सबकुछ बेचने की हड़बड़ी में नहीं है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार समेत चार प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों में सरकार की मौजूदगी बनी रहेगी।रायसीन डायलाग 2023 सम्मेलन में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि रणनीतिक क्षेत्रों में सरकारी नियंत्रण के तहत हो¨ल्डग कंपनी के स्तर पर सार्वजनिक क्षेत्र के मौजूदा वाणिज्यिक उद्यमों में न्यूनतम मौजूदगी को बनाए रखा जाएगा।
शेष उद्यमों को निजीकरण या किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) के साथ विलय या बंद करने पर विचार किया जाएगा। चार प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष व रक्षा और परिवहन व दूरसंचार, बिजली-पेट्रोलियम-कोयला व अन्य खनिज और बैंकिंग-बीमा व वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। सीतारमण ने कहा कि इस नीति में सबकुछ बेचने के लिए पागल हो जाना नहीं है और न ही यह नीति कह रही है कि सरकार हर तरह के कारोबार चलाएगी।
ऐसे में जहां सरकार को नहीं होना चाहिए, वहां नहीं होगी। लेकिन जहां रणनीतिक हितों के कारण होना चाहिए, वहां दूरसंचार क्षेत्र की तरह सरकार रहेगी। उन्होंने कहा कि एक दूरसंचार कंपनी सरकार के स्वामित्व में होगी और इसे पेशेवर रूप से चलाया जाएगा।
पिछले महीने पेश किए गए बजट में सीतारमण ने घोषणा की थी कि वित्त वर्ष 2024 में विभिन्न सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर 51 हजार करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे।
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सम्मेलन में कहा कि कोरोना महामारी के बाद सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रानिक्स और इनोवेशन की दुनिया बुनियादी बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने प्रौद्योगिकी के उज्ज्वल भविष्य के लिए समान सोच रखने वाले देशों को सहयोगात्मक ढांचा तैयार करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत बताई।
इंटरनेट प्रतिबंध से जुड़े एक सवाल पर चंद्रशेखर ने कहा कि भारत में आनलाइन उपयोगकर्ताओं की कुल संख्या और सामग्री पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता या विशालता के प्रतिशत के तौर पर इंटरनेट प्रतिबंध यहां पर दुनिया में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने या किसी इंटरनेट मीडिया पोस्ट को हटाने की प्रक्रिया कानून के हिसाब से अंजाम दी गई है और विशेष परिस्थितियों में सरकार ने कानून का पालन करते हुए ही इसका आदेश दिया है।
सम्मेलन में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का वस्तु एवं सेवा निर्यात 750 अरब डालर के पार पहुंचने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तु एवं सेवा निर्यात 676 अरब डालर रहा था। वैश्विक मांग में कमी के कारण बीते दो माह से भारत के निर्यात में लगातार दो माह से कमी आ रही है और जनवरी में निर्यात 6.6 प्रतिशत घटकर 32.91 अरब डालर रहा है।
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