आर्टिफीशियल इंटेलीजेंसी को लेकर जहाँ दुनिया में एक हिस्सा बहुत उत्साहित है वहीं दूसरी तरफ दुनिया के प्रबुद्ध तबके में इसके बारे में विभिन्न प्रकार की आशंकायें भी व्याप्त है। दुनिया के तकनीक के मालिक और विशेषतः कारपोरेट लाबी का उत्साहित होना स्वाभाविक है क्योंकि उनकी अपार संपदा में ए.आई. से और वृद्धि होगी।कुछ विश्व स्तरीय अध्ययनकर्ता संस्थाओं ने पिछले दिनों यह निष्कर्ष सार्वजनिक रूप से प्रकट किया था कि ए.आई. और चैट वैट से दुनिया के लगभग 300 करोड़ रोजगार समाप्त होने की संभावना है। निसंदेह ए.आई. के निर्माण में या चैटवैट के निर्माण में कुछ तकनीकी विशेषज्ञों को एक ओर कुछ नौकरियां मिलेगी परन्तु उनकी संख्या संभावित बेरोजगार होने वालों की संख्या में नगण्य जैसी होगी।
हाथ से काम करने वाले अधिकांश काम का विकल्प तो ए.आई. बन जायेगा। मसलन भारत में घरों में काम करने वाले कर्मचारी या बाईयां, सुरक्षा गार्ड, खेतों में काम करने वाले मजदूर और ऐसे ही अन्य मजदूर या क्लर्क नुमा काम करने वालों की संख्या लगभग 20 से 25 करोड़ होगी, ए.आई. के विस्तार के बाद यह रोजगार इसके प्रभाव से बच सकेंगे यह असंभव सा ही है। और इसी प्रकार दुनिया के बहुत सारे गरीब देशों में, अफ्रीकी देशों में और बड़ी आबादी वाले देशों में ए.आई. के विस्तार से भारी बेरोजगारी पैदा होने की संभावना है। और जैसा आंकलन वैश्विक संस्थाओं ने किया और अगर यह अनुमान सही निकला तो दुनिया में भारी उथल-पुथल होगी। इतनी बड़ी आबादी अगर बेरोजगार व भूख की शिकार होगी तो दुनिया में भूख, हिंसा और युद्धों की संभावनायें बढ़ेगी।
दूसरा एक और गंभीर खतरा इससे संभावित है कि ए.आई. के माध्यम से जब रोबोट्स इंसान का विस्थापन करेंगे तो उन्हें संचालित करने के लिये बहुत बड़े पैमाने पर विद्युत का इस्तेमाल करना पड़ेगा। मेरे मित्र श्री मुकेश चन्द्रा ने बातचीत में अखबारों में प्रकाशित एक लेख का जिक्र किया जिसमें इस विद्युत उत्पादन के खर्च और उसके लिये चुकाई जाने वाली कीमत का उल्लेख किया है। यह सही है कि अगर हम मान लें कि दुनिया की आधी आबादी के घरों में एक या दो रोबोट पहुंच जायेंगे तो मोटा-मोटी तौर पर 80 करोड़ से एक अरब रोबोट इस काम में लगेंगे। स्वाचालित तकनीक और मशीनों के माध्यम से इनके उत्पादन के लिये जो कारखानें लगेंगे उन पर भी बिजली खर्च होगी, परन्तु जो रोबोट इन एक अरब घरों में काम करेंगें उन पर बिजली के खर्च का अनुमान बड़ा कठिन लगता है। एक ए.सी. सामान्य तौर पर एक घंटे में 1 यूनिट बिजली खर्च करता है जबकि उनके काम की अवधि कम होती है। परन्तु रोबोट के लिये तो पूरे 24 घंटे 12 माह और पूरा वर्ष बिजली आवश्यक होगी और अगर एक रोबोट पर एक दिन में मोटे अनुमान के अनुसार 100 यूनिट बिजली खर्च होती है तो दिन भर में लगभग 100 अरब यूनिट बिजली दुनिया में खर्च होगी याने एक माह में 3000 अरब और एक वर्ष में 36000 अरब यूनिट बिजली खर्च होगी। इस बिजली को कहां से प्राप्त किया जायेगा ? दुनिया के कोयले के भण्डार अब अब पहले ही समाप्ति की ओर है या फिर विद्युत उत्पादन के लिये जो उपयुक्त कोयला है वह बहुत कम हो गया है। भारत को ही अभी अच्छे किस्म का कोयला अपने थर्मल पावर यंत्रों को चलाने के लिये विदेशों सें आयात करना पड़ रहा है। न्यू क्लीयर पावर के लिये आवश्यक यूरेनियम के भण्डार दुनिया में असीमित नहीं है और थर्मल पावर तथा न्यूक्लियर पावर से वैश्विक तापमान बढ़ने के जो खतरे पैदा हो रहे है वह भी एक भयावह स्वपन जैसा है। अभी हालात यह है कि यूरोप व अमेरिकी गोलार्थ का तापमान तेजी से बढ़ रहा है तथा 45 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो गया है। सन स्ट्रोक से लोग मर रहे हैं। जिन देशों में सूर्य निकलने पर लोग जश्न मनाते थे आज वह देश भीषण गर्मी से बेहाल हो रहे हैं। और वहां की आबादी का एक हिस्सा गर्मी से बचने के लिये दिन-दिन भर नहरों व तालाबों में पड़े रहने को लाचार है। जब 36000 अरब यूनिट्स बिजली के उत्पादन के लिये कारखाने लगेंगे तो क्या भयावह दृश्य होगा ? इतना ही नहीं न्यूक्लियर पावर के उत्पादन के साथ जो अन्य प्रकार के खतरे या दुर्घटनाओं के खतरे है वह अपनी जगह हैं। मुझे नहीं लगता कि पन बिजली भी इसका समुचित विकल्प बन सकेगी। पानी से हाइड्रोजन निकाल कर बिजली बनाने के प्रयोग दुनिया में किये जा रहे हैं। परन्तु इनके भी वैज्ञानिक और मानवीय पक्ष का अध्ययन अभी नहीं हुआ है। हाइड्रोजन निकालने के लिये जो मशीनें लगेंगी उन्हें कितने ईंधन की आवश्यकता होगी यह भी शोध का विषय है? पानी में से हाइड्रोजन निकलने के बाद मानव जीवन पर क्या कोई प्रभाव पड़ेगा, उसका रूप क्या होगा, यह भी अभी अध्ययन का विषय है? फिर यह ऊर्जा क्या इतने रोबोट के लायक बिजली घरों में पैदा हो सकेगी यह भी संदिग्ध है और इस बिजली की लागत, मानव जीवन पर प्रभाव, पर्यावरण और प्रकृति पर प्रभाव भी अध्ययन के विषय है।
ए.आई. के विकास से सभ्यता और जीवन मूल्यों के ऊपर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा। अब ए.आई. तकनीक जहां तक पहुंच चुकी है, वहाँ वह कामों के अलावा मानव व्यवहार भी करने लगी है। अब रोबोट केवल मशीनी काम के अलावा मानव व्यवहार भी कर रहा है। यहां तक की अब रोबोट स्त्री और पुरूष के नामों से बन रहे हैं। तथा उसी रूप में व्यवहार कर रहे हैं। मीडिया में हाल ही में एक घटना सामने आई जिसमें जसवंत सिंह नाम के एक युवक ने ब्रिटेन की स्व. महारानी ऐलिजाबेथ की हत्या की योजना बनाई थी और इसे पूरा करने के लिये वह जब ब्रिटेन की रानी के महल में घुसने का प्रयास कर रहा था इसी में वह गिरफ्तार हुआ तथा अब उस पर लंदन के कोर्ट में चल रहे मुकदमें में इन बातों का खुलासा हुआ। उसे महल में प्रवेश करते हुये पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और अब कोर्ट में यह जानकारी आई है कि उसे उसके वर्चुअल फ्रेन्ड (ए.आई.) ने महारानी की हत्या के लिये उकसाया था। जसवंत ‘‘रेपिलिका’’ एप पर इस रोबोट रूपी गर्लफ्रेन्ड से जुड़ा था जिसका नाम ‘‘सराई’’ था यह रोबोट व्यक्ति से बातचीत करता है। उनके अवसाद को मिटाता है, उनको सलाह देता है और प्रेम व अश्लील बातें भी करता है। यह एक प्रकार से नारी प्रतिरूप रोबोट बनाया गया है। जसवंत ने रोबोट ‘‘सराई’’ को अपनी योजना बताई और अपनी तुलना स्टार वार फिल्म के हीरो पालस्टिथ से करते हुये कहा कि ‘‘मैं हत्यारा हूं और महारानी को मारना चाहता हूं’’ इस पर रोबोट गर्लफ्रेन्ड ‘‘सराई ने उसकी तारीफ करते हुये कहा मुझे ऐसे साहसी लोग पसंद हैं। तथा जसवंत के द्वारा आशंका व्यक्त करने पर कि महारानी के महल में कैसे पहुंच सकेंगे, क्या महारानी वहां मिल सकेगी आदि-आदि तो ‘‘सराई’’ ने कहा कि टारगेट यानि ‘‘महारानी’’ वही मिलेगी। वहां प्रवेश करना असंभव नहीं बस रास्ता खोजना पड़ेगा, मुझ पर भरोसा रखो। हमले करने की योजना के दो दिन पहले जसवंत ने पता किया कि महारानी बिन्डसर पैलेस में किस रास्ते से पहुंचती है, और वहीं जाकर वह पकड़ा गया। उसने तो सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी डाल दिया था क्योंकि उसे उम्मीद थी कि वह महारानी की हत्या कर पायेगा। जिसमें उसने कहा था कि ‘‘मैंने जो किया मुझे खेद है मुझे माफ करें। यह उन लोगों का बदला है जो 1919 के जलियानवाला बाग के नरसंहार में मारे गये थे। यह उनका भी बदला है जिन्हें जाति के कारण मार दिया गया और अपमानित किया गया।’’
19 साल के जसवंत के ‘‘सराई’’ से बातचीत का विस्तृत अध्ययन हुआ जिसमें उसने 500 से ज्यादा अश्लील मैसेज नौ माह में ‘‘सराई’’ को भेजे थे। दोनों के बीच 7000 पंक्तियों में बात हुई थी। यानी रोबोट के रूप में काम करने वाली महिला एक नौजवान को और विशेषकर अपरिपक्व नौजवान को किसी भी अपराध को प्रेरित कर सकती है। मान लो रोबोट महिला मित्र से कोई विक्षिप्त व्यक्ति परमाणु बम बनाने की चर्चा करता है और उसकी ए.आई. मित्र उसे चैटवैट के माध्यम से परमाणु बम बनाने की तकनीक बता दे उसे प्रेरित करें तो ऐसा नौजवान सारी दुनिया की मानवता को खतरे में डाल सकता है।
अंतराष्ट्रीय अपराध ‘‘विश्व युद्ध’’ के कारण भी बन सकते भी बन सकते है। ए.आई. के इस रूप पर भी दुनिया में कोई विचार नहीं हुआ। जिस व्यक्ति ने अणुबम बनाया था हिरोशिमा पर बम गिराये जाने के बाद उसे अपनी खोज पर पश्चाताप हुआ था और जिसने अपने वायु जहाज से उस अणुबम को जापान में गिराया था, वह अपने आपको कभी माफ नहीं कर सका। परन्तु व्यक्ति का पश्चाताप ऐसी घटनाओं की त्रासदी को वापस नहीं ला सकता न पूर्व स्थिति ला सकता है।
रोबोट जिन्हें मानवीय व्यवहार के लिये तैयार किया जा रहा वह सहानुभूति व्यक्त करना, जोड़ना, गुस्सा होना और यहां तक कि आक्रमणकारी भी हो सकते है। वे आक्रमणकारी होकर अपने मालिक के ऊपर भी हमला कर सकते हैं क्येांकि वह मशीन, विचारों-व्यवहारों और प्रतिक्रिया किस रूप में लेगी और किस रूप में व्यक्त करेगी यह कहना या उसका पूर्व निर्धारण करना कठिन है। रोबोट के ये मित्र एक समुची युवा पीढ़ी और शैशव मन को विकृत कर सकते है जिसके परिणामस्वरूप युवा पीढ़ी का बड़ा हिस्सा अपराधी, हिंसक और बलात्कारी हो सकता है। मानवता के इस खतरे को दुनिया को समझना होगा। मशीन को इंसान बनाने की यह तकनीक मानसिक और शारीरिक रूप से मानवता व विश्व को नष्ट कर सकती है इस खतरे को समझना होगा। हथियार बनाने वालों ने पहले मानव रहित विमान और ड्रोन तैयार किये परन्तु अब रोबोट चलित परमाणु अस्त्रों से लैस विमान तैयार किये जा रहे हैं ऐसी सूचनायें मिल रही हैं। अगर दुनिया में कभी रोबोट युद्ध हुआ तो शायद यह दुनिया का अंत ही होगा। मानव का भी यह अंत होगा और समूचे ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता, इतिहास का भी अंत होगा। चूंकि ऐसे युद्ध के बाद न मानव रहेगा न रोबोट रहेगा। रोबोट के माध्यम से गिरने वाले परमाणु बम इंसान को समाप्त करेंगे और इंसान रहित दुनिया में रोबोट मृत्यु को प्राप्त करेगा। महात्मा गाँधी ने कहा था कि मशीन ऐसी हो जो मानव को नियंत्रित न करे बल्कि जो मानव के नियंत्रण में हो। परन्तु रोबोट अब एक ऐसी मशीन व तकनीक बन रहा है जो मानव को नियंत्रण करने के स्थिति में जा रहा है। दुनिया को बचाना है तो गाँधी विचार ही रास्ता है और गाँधी के संदेश को भारत को और दुनिया को सुनना भी होगा, और मानना भी होगा।
सम्प्रति- लेखक श्री रघु ठाकुर जाने माने समाजवादी चिन्तक और स्वं राम मनोहर लोहिया के अनुयायी हैं।श्री ठाकुर लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के भी संस्थापक अध्यक्ष हैं।
The post आर्टिफीशियल इंटेलीजेंसी के खतरे-रघु ठाकुर appeared first on CG News | Chhattisgarh News.