विशेष संवादाता, रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक तरफ कसरंचरी महंगाई और गृह भाड़ा भत्ता के लिए हड़ताल पर हैं, और इधर आईएएस-आईपीएस को दोबारा बढ़ा हुआ भत्ता देने का आदेश जारी हुआ है। पहले ही आला प्रशासनिक अधिकारीयों को महंगाई भत्ता से शासन ने नवाज़ा था अब पुनः सातवें वेतनमान के मुताबिक काम कर रहे अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का गृह भाड़ा भत्ता 9 से 27% तक बढ़ा दिया गया है।
वृद्धि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर हुई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के हड़ताली कर्मचारी संगठनों का कहना है, यह हमारे जले पर नमक छिड़कने जैसा है। इसी मांग को लेकर प्रदेश के चार लाख से अधिक कर्मचारी पिछले आठ दिनों से हड़ताल पर बैठे हैं। हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इससे पहले जीएडी के मुताबिक अफसरों का महंगाई भत्ता भी बढ़ा दिया गया। उनको 31% तक कर दिया गया है। महंगाई भत्ता 25% से अधिक होने पर अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का गृह भाड़ा भत्ता सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुपात में बढ़ाया जाना है। इसके लिए एक्स, वाई और जेड श्रेणी के शहरों के लिए क्रमश: 27%, 18% और 9% की दर तय हुई थी।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा का कहना है ये हमारा दुर्भाग्य है। हम सभी को इसी भत्ते को लेकर कई महीनों से आंदोलन करना पड़ रहा है। पिछले आठ दिनों से कर्मचारी हड़ताल पर हैं। यह आदेश भी उस दिन जारी हुआ जिस दिन कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे थे। यह दोहरा बर्ताव है।
छत्तीसगढ़ के राज्य कर्मचारियों की यह हड़ताल भत्ता बढ़ाने की मांग के लिए है। कर्मचारी संगठन कई महीनों से केंद्र सरकार की तरह 34% महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे थे। उनकी मांग थी, इस दर तक पहुंचने के लिए उनका भत्ता 12% बढ़ाया जाना चाहिए। वहीं सातवें वेतनमान की सिफारिशों के मताबिक मूल वेतन का 18% गृह भाड़ा भत्ता की मांग भी साथ-साथ उठी है। जुलाई में पांच दिनों की हड़ताल के बाद सरकार ने महंगाई भत्ते में 6% इजाफे का आदेश जारी कर दिया। वहीं गृह भाड़ा भत्ता के लिए आश्वासन हाथ आया। उसके बाद 22 अगस्त से कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।
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