चीन और जापान इन दिनों घटते बर्थ रेट को लेकर बेहद चिंतित है. दोनों ही देशों में हर साल पैदा होने वाले बच्चों की संख्या घटती जा रही है. इसके पीछे कई कारण दिए जा रहे हैं लेकिन जानकारों का कहना है इन दोनों देशों में विवाहित जोड़े परिवार बढ़ाने में कोई खास रूचि न दिखाना इसकी मुख्य वजह है. सरकारी नीतियों, सामाजिक ढांचे और आर्थिक हालात ने जापान में युवाओं को अपनी सोच बदलने के लिए मजबूर कर दिया है.
पहले बात जापान की करते हैं. जानकारों के मुताबिक जापान में हर साल औसतन 8 लाख बच्चे पैदा होते हैं जबकि 10 साल पहले जापान में हर साल औसतन 20 लाख बच्चों का जन्म होता था.
अगर जापान की की भारत से तुलना की जाए तो जापान में खाने-पीने, ट्रांसपोर्टेशन, मेडिकल खर्ज, मकान का किराया बहुत ज्यादा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक अनुमान के मुताबिक भारत के मुकाबले जापान182% ज्यादा महंगा है.
महिलाएं ज्यादा संख्या में कर रही हैं नौकरियां
जापान हालांकि पितृसत्तास्मक समाज रहा है लेकिन समय के साथ यहां की सामाजिक जीवन में आमूल चूल परिवर्तन आया है. महिलाओं की स्थिति ज्यादा मजबूत हुई है और आज स्थिति यह है कि महिलाएं पुरुषों की संख्या में ज्यादा नौकरियां कर रही हैं. जापान का 2021 का लेबर फोर्स सर्वे बताता है कि देश में 52.2% जॉब कर रही हैं.
सरकार की जनता को सीमित मदद
जापान में जनता को बहुत कम सरकारी मदद मिल पाती है. 2022 की एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 20 से 40 साल के लोग महंगाई और नौकरी से जुड़ी चिंताओं के कारण फैमिली प्लानिंग करने से दूर भाग रहे हैं.
चीन
दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन के लिए यह साल बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ क्योंकि 2022 में 60 साल में पहली बार जितनी आबादी बढ़ी उससे ज्यादा मौते हुईं. चीन में 2022 में 90 लाख 56 हजार बच्चे पैदा हुए, जबकि 1 करोड़ 41 हजार लोगों की मौत हो गई.
चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने 2016 में वन चाइल्ड पॉलिसी में छूट देते हुए दो बच्चों की पॉलिसी लागू की और फिर 3 बच्चे पैदा करने की भी इजाजत दे दी. लेकिन बढ़ती कॉस्ट ऑफ लिविंग की वजह से लोग अब परिवार बढ़ाने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं.
विशेष रूप से चीन के शहरों में जीवन महंगा और कठिन है. महंगाई के चलते बच्चे की परवरिश का खर्च भी भारी पड़ता है.
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