अब सभी संस्कृत विद्यालयों को अनुदान मिलेगा। महाविद्यालय का दर्जा उन्हीं संस्थानों को मिलेगा जहां उच्च शिक्षा पढ़ाई जा रही है। सीएम के निर्देश पर सचिव संस्कृत शिक्षा चंद्रेश यादव ने नए सिरे आदेश जारी किया है।
शासन ने संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के अलग-अलग संचालन के संबंध में स्थिति साफ की है। अब सभी संस्कृत विद्यालयों को अनुदान मिलेगा, बेशक उनमें 12वीं तक कक्षाएं संचालित नहीं हो रही हैं। इस संबध में शासन ने 16 अक्तूबर को जारी अपने शासनादेश में संशोधन कर दिया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से यह मसला उठाया था। सीएम के निर्देश पर सचिव संस्कृत शिक्षा चंद्रेश यादव ने नए सिरे आदेश जारी किया है। इसमें ऐसे 81 विद्यालयों और महाविद्यालयों की सूची भी शामिल है।
संस्कृत शिक्षा निदेशक के आदेश में सभी विद्यालयों व कॉलेजों के प्रबंधन को बोर्ड या शिलापट बनाकर मुख्य भवन के प्रवेश द्वार पर स्थापित करने को कहा गया है। महाविद्यालय का दर्जा उन्हीं संस्थानों को मिलेगा जहां उच्च शिक्षा पढ़ाई जा रही है।
वे सभी महाविद्यालय अब विद्यालयों के नाम से ही जाने जाएंगे, जो प्रथमा, पूर्व मध्यमा तक वित्त पोषित हैं और उत्तर मध्यमा तक वित्तविहीन मान्यता प्राप्त हैं। हालांकि इस आदेश को उन संस्कृत महाविद्यालयों के प्रबंधन व शिक्षकों में नाराजगी हैं जिन्हें अब विद्यालय का दर्जा दिया जा रहा है।
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