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ऊर्जा विभाग का विद्युत निरीक्षकालय ,कांग्रेस सरकार के दौरान क्यों हुआ प्रभारवाद का शिकार?यहां भी न्याय करेगी साय सरकार ?

रायपुर(मनीष जायसवाल)विभाग के अधिकारी न होते हुए भी दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति के माध्यम से घुस कर सबसे महत्वपूर्ण पद पर कब्जा जमा लेने को प्रभारवाद कह सकते है। इसका जुगाड़ वाद से गहरा नाता है ..! इसकी जद में भूपेश बघेल सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ शासन का कमाऊ पूत ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आने वाला मुख्य विद्युत निरीक्षकालय विभाग भी शामिल था…!

इस विभाग को ऊर्जा विभाग का आंख ,कान और दिमाग भी कहा जाता है..। ऊर्जा विभाग के सारे नियंत्रण इसी विभाग की देख रेख में होते है। लेकिन ऐसा क्या जुगाड़ था जो इस महत्वपूर्ण मुख्य विद्युत निरीक्षकालय के पद पर इस कैडर के योग्य अधिकारी रहते हुए कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में दूसरे विभाग से किसी खास के चहेते अफसर को जंप करा कर यहां प्रभार दिया गया ..! 

भाजपा सरकार बनने के बाद यह ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पास है। इसी विभाग की एक जड़ मुख्य विद्युत निरीक्षकालयहै।

यह विभाग आम होते हुए भी खास होता है। इसलिए प्रदेश में इसका मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही होता रहा है। ऊर्जा विभाग के अंतर्गत छत्तीसगढ़ शासन के अधीन मुख्य विद्युत निरीक्षकालय शासकीय संस्था है ..।

जिसका मुख्य कार्य विद्युत शुल्क संग्रहण से राजस्व एकत्रित करना होता है। इसके अलावा यह विभाग विद्युत सुरक्षा से अवगत भी कराता है।

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यही नहीं बिजली विभाग के टेंडर लेने के लिए जो पात्र विद्युत ठेकेदार हे हैं, उन्हें ये विभाग विद्युत ठेकेदार लाइसेंस देने का काम भी करता है। सबसे महत्वपूर्ण इसका काम यह भी है कि ऊर्जा विभाग में जो टेंडर निकलते है उसके अनुबंध को यही विभाग को कार्यानुमति भी देता है।

इस विभाग में सबसे बड़ी समस्या है कि इस विभाग का सेटअप बहुत छोटा है। सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यालय के विभागाध्यक्ष पद होता है। जो कि पूर्ण रूप से पदोन्नति का पद है। यहां पर भी अन्य विभागों के जैसे पदोन्नति के पद का टोटा है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मूल विभाग के अधिकारियों की पदोन्नति नही की गई।

इस चेन को ब्लॉक कर दिया गया। जिसकी वजह से निरीक्षकालय के अधिकारी और कर्मचारी ख़ुद को ठगा से महसूस कर रहे है। अन्य विभाग के अफसर के आने की वजह से निचले स्तर पर संवाद की कमी बीते साल अलग रही है। जिससे विभाग का काम भी प्रभावित हुआ है। पर कितना हुआ है..? इसे कहा नही जा सकता। क्योंकि भाजपा ने ही पूर्व की भूपेश बघेल सरकार पर काम नही करने का बड़ा आरोप कई बार लगाया है।

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अब सरकार बदल गई है और नई सरकार के कामकाज करने का तरीका भी बदल रहा है। ऊर्जा विभाग में पूर्व सरकार में प्रभारवाद के दम पर बैठे अधिकारियों पर विष्णु देव साय की सरकार परंपरा को तोड़ते हुए इस विभाग के कैडर के साथ न्याय करती है या नहीं…?

यह तो वक्त बताएगा फिलहाल अब इस सरकार के सुशासन में दिखाई दे रहे असंतोष पर तीर चलाने की बारी कांग्रेस की है। क्योंकि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब भाजपा की ओर से प्रभारवाद को लेकर सोशल मीडिया में कई तीर चलाए गए थे ।

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