(रवि भोई)छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने बयान से एक बार फिर राज्य के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कहा जा रहा है कि सिंहदेव ने भारत बनाम न्यूजीलैंड क्रिकेट सेमीफाइनल मैच के घटनाक्रम का उदहारण देकर अपने दिल की बात जुबान पर ला दी। माना जा रहा है कि 2018 में कांग्रेस की सत्ता लाने में खूब मेहनत के बाद भी मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए टकटकी लगाकर पांच साल बिताने वाले सिंहदेव साहब इस बार कोई चूक नहीं करना चाहते हैं। इस कारण कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना की तर्ज पर विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के पहले ही तीर चलाने लग गए हैं। कांग्रेस ने 2023 के लिए किसी को चेहरा घोषित नहीं किया, पर चुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में लड़ा गया। ऐसे में भूपेश बघेल को राज्य में कांग्रेस का स्वाभाविक नेता माना जा रहा है, लेकिन सिंहदेव के बयान से लग रहा है कि भूपेश बघेल के लिए राह आसान नहीं रहने वाला है। सिंहदेव के रुख से कांग्रेस में कुर्सी के लिए घमासान के संकेत मिलने लगे हैं। भूपेश बघेल और सिंहदेव के अलावा मुख्यमंत्री की कुर्सी की दौड़ में डॉ चरणदास महंत और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का नाम भी सामने आ रहा है।
भाजपा में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की कतार
छत्तीसगढ़ में बहुमत किसे मिलेगा, यह तो तीन दिसंबर को ही स्पष्ट होगा, पर कांग्रेस की तरह भाजपा में भी मुख्यमंत्री पद की चाहत रखने वालों की चर्चा होने लगी है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा और मोदी की गारंटी जारी की। अब भाजपा में भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर कयास लगने लगे हैं। 15 साल के मुख्यमंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता के तौर पर डॉ रमन सिंह का नाम मुख्यमंत्री के लिए चर्चा में है। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष के नाते अरुण साव को भी दौड़ में माना जा रहा है। आदिवासी चेहरे के तौर पर मुख्यमंत्री के लिए रामविचार नेताम और विष्णुदेव साय भी केंद्र में हैं। युवा चेहरे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चहेते के तौर पर ओ पी चौधरी का नाम भी लोगों की जुबान पर है। कुछ लोग विजय बघेल को भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल कर रहे हैं। विजय बघेल भाजपा की घोषणा पत्र समिति के प्रमुख होने के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ विधानसभा चुनाव मैदान में हैं।
महिलाएं और युवा हो सकते हैं निर्णायक
माना जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में महिला और युवा मतदाता निर्णायक साबित हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि इस चुनाव में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। युवा वोटर भी मतदान के लिए निकले। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने महिलाओं के लिए लुभावने वादे किए हैं। विवाहित महिलाओं को भाजपा ने हर साल 12 हजार देने का वादा किया है, तो कांग्रेस ने 15 हजार रुपए सालाना देने का ऐलान किया है। कहते हैं रोजगार का मुद्दा युवाओं को झकझोरा है। लोग मानकर चल रहे हैं कि महिलाओं और युवाओं का वोट जिधर गिरा है,राज्य में उसी की सरकार बनने वाली है। जैसे 2018 में 2500 रुपए क्विंटल में धान खरीदी मुद्दे पर किसान कांग्रेस के साथ हो लिए थे और भारी बहुमत से उसकी सरकार बन गई थी।
बहुमत का कांटा अटकेगा 50-52 पर ?
माना जा रहा है कि 2023 में जिसकी भी सरकार बने, उसे 50-52 से ज्यादा सीटें नहीं मिलने वाली है। इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला दिखा। कुछ सीटों पर ही त्रिकोणीय मुकाबले जैसी स्थिति रही। एक-दो जगह बसपा ने त्रिकोणीय मुकाबला बनाया, तो एक-दो जगह जोगी कांग्रेस ने। एकाध जगह निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी मुकाबले को रोचक बनाया है। कहा जा रहा है मतदान के रुख को देखकर नहीं लग रहा है कि इस बार किसी दल को एकतरफा सीटें मिलेंगी। वैसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 75 सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं तो भाजपा 55 सीटें मिलने की उम्मीद कर रही है।
भारी उलटफेर की अटकलें
कहा जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भारी उलटफेर होने वाला है। कई दिग्गजों की नाव डूब सकती है तो कई नए-नवेले चेहरे चमक सकते हैं। कांग्रेस ने एंटी इंकम्बैंसी फैक्टर को कम करने के लिए अपने 22 विधायकों की जगह नए लोगों को उतारा है,पर मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को नहीं छेड़ा है। भाजपा ने एक विधायक की जगह नए चेहरा को लड़ाया है, लेकिन दिग्गजों को मुकाबले में रखा है। 2018 में हारे लोग भी इस बार खिलाड़ी हैं। भाजपा ने कई अनजान चेहरे पर भी दांव लगाया है। मतदाताओं के रुख से लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि इस बार भारी चौंकाने वाले नतीजे आ सकते हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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