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कुपोषण दूर करने बच्चों को खिला रहे अंडा

अंबिकापुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों अंडा खिलाना शुरू किया गया है.

माना जा रहा है कि इससे बच्चों का कुपोषण दूर होगा.

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक अगस्त से ‘सुपोषित सरगुजा अभियान’ की शुरुआत की गई है.

इसके तहत आंगनबाड़ी के बच्चों को बेहतर पोषण देने अतिरिक्त पोषण आहार देने की व्यवस्था की गई है.

अभियान के तहत कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने सप्ताह में तीन दिन अंडा, केला, गुड़ और सत्तू दिया जाएगा.

यह अभियान अगले 6 महीने तक जिले के 2 हजार 503 आंगनबाड़ी केंद्रों में चलाया जाएगा.

अभियान का संचालन डीएमएफ मद से किया जा रहा है.

कुपोषण दर में नहीं आ रही कमी

2024 में सरगुजा जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों में कुल 74,774 बच्चों का वजन कराया गया, जिसमें 11,175 बच्चे कुपोषित मिले हैं.

वहीं 2023 में कुल 79,156 बच्चों का वजन कराया गया था, जिसमें 10,953 बच्चे कुपोषित मिले थे.

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष के कुपोषित बच्चों की संख्या में केवल 0.5 प्रतिशत की कमी आई है.

जबकि कुपोषण मुक्ति के लिए राज्य व केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.

सरकारें इसके लिए हर वर्ष भारी-भरकम बजट भी खर्च कर रही हैं. इसके बावजूद कुपोषण दर में कोई खास कमी नहीं आ रही है.

कई स्तरों पर मॉनिटरिंग

सुपोषित सरगुजा अभियान की कई स्तरों पर मॉनिटरिंग की जाएगी.

जिला स्तर पर कलेक्टर, विकासखंड स्तर पर अनुविभिगीय अधिकारी राजस्व तथा ग्राम स्तर पर ग्राम सरपंच की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है.

अभियान के लिए जिले की 33 महिला स्व सहायता समूहों का चयन किया गया है.

ये स्व सहायता समूह आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त पौष्टिक आहार उपलब्ध कराएंगे.

अंडा देने का भाजपा ने किया था विरोध

छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार के समय सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में मध्याह्न भोजन दौरान अंडा वितिरत करने का आदेश जारी किया गया था.

इसे लेकर विपक्षी दल भाजपा ने जमकर विरोध किया था.

यह मामला विधानसभा में भी उठा था और सरकार से इस कदम को वापस लेने की मांग की गई थी.

भाजपा का कहना था कि स्कूलों को ज्ञान का मंदिर कहा जाता है. वहां अंडा वितरण के फैसले के बाद से शाकाहारी समाज नाराज है.

राज्य के कबीर पंथी, राधा स्वामी, गायत्री परिवार, जैन समुदाय और अन्य शाकाहारी समुदाय राज्य सरकार के इस फैसले से खफा हैं.

हालांकि इस मामले में कांग्रेस का अपना पक्ष था. सरकार का कहना था कि राज्य में कुपोषण की दर लगभग 40 प्रतिशत है.

इस दर को कम करने प्रोटीन के एक विकल्प के तौर पर अंडा दिया जा रहा है.

बस्तर में सबसे ज्यादा कुपोषण

छत्तीसगढ़ के बस्तर में सबसे ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं.

बस्तर के सुकमा जिले के 34.73 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

राज्य सरकार के 2023 के आंकड़ों के मुताबिक बस्तर जिले में कुल 24,299 बच्चे कुपोषित हैं. इनमें से 6080 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हैं.

बकावंड, बस्तर और लोहंडीगुडा ब्लाक में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक है.

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https://cgkhabar.com/feeding-eggs-to-children-to-overcome-malnutrition-20240802/