सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक दिव्यांग छात्र की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई, जो शारीरिक रूप से दिव्यांग है और बिहार के एक सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया है।
छात्र ने उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें उसे कोर्स करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने बिहार के बेतिया स्थित कॉलेज और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) सहित अन्य को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब मांगा है।
58 प्रतिशत दिव्यांग है छात्र
तब तक याचिकाकर्ता के एडमिशन में बाधा नहीं डाली जाएगी। शरीर के निचले अंगों में मांसपेशियों की दुर्बलता के कारण याचिकाकर्ता 58 प्रतिशत तक दिव्यांगता से पीड़ित है।
उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार मेडिसिन की पढ़ाई करने के लिए अपनी योग्यता का नए सिरे से पुनर्मूल्यांकन करने की भी मांग की।
वकील मयंक सपरा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने दिव्यांगता के लिए पहले ही दो मूल्यांकन करवा लिए हैं। इसके परिणामस्वरूप 24 जून, 2022 और 31 अगस्त, 2024 की तिथि वाले वैध दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
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