21.09.22| गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में एक और किडनी के मरीज की मौत हो गई है। बुधवार को 62 साल के कांशी राम की इलाज के दौरान मौत हो गई। पिछले 4 सालों से वो किडनी के रोग से पीड़ित था। BMO अंजू सोनवानी ने कहा कि सुपेबेड़ा में लगने वाले साप्ताहिक शिविरों में उसका इलाज किया जा रहा था।
मंगलवार को भी CHC की टीम ने घर पहुंचकर कांशी राम की जांच की थी और उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती होने को कहा था, लेकिन एडमिट होने से पहले ही आज उसकी मौत हो गई। BMO अंजू सोनवानी ने बताया कि उसका क्रिएटिनिन लेवल 3.5 था। किडनी की बीमारी के चलते उसे शुगर, खांसी, एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी भी हो गई थी। देवभोग के सुपेबेड़ा में 14 साल में किडनी की बीमारी से 102 मरीजों की मौत हो गई है, जिसमें आज बुधवार को हुई कांशी राम की मौत भी शामिल है।
इन 14 सालों के दौरान सरकार बदली, लेकिन हालात नहीं बदले। यहां 7 बार मंत्रियों का दौरा भी हुआ और कई शोध भी हुए, लेकिन लोग किडनी की बीमारी से क्यों पीड़ित हो रहे हैं, इसकी वजह ढूंढने में सिस्टम नाकाम रहा। 2009 के बाद जिसे भी किडनी की बीमारी हुई, वो 2-4 साल से ज्यादा नहीं जी सका। 2015 से लेकर अब तक करीब 30 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, साथ ही 12 करोड़ की नई वॉटर सप्लाई स्कीम को भी मंजूरी मिल चुकी है, जिसकी राशि भी कुल लागत में जुड़ जाएगी।
इन सबके बावजूद सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक यहां किडनी पीड़ितों की संख्या सिर्फ 6-7 है, जबकि ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और कहती है। गांव में अभी भी 32 ऐसे लोग हैं, जो किडनी की समस्या से पीड़ित हैं। इन सबका क्रिएटिनिन लेवल बढ़ा हुआ है। इनमें से भी 4 मरीज ऐसे हैं, जिनका क्रिएटिनिन लेवल 3 प्वाइंट से ज्यादा है। इनमें से एक प्रेमजय क्षेत्रपाल का डायलिसिस सरकारी खर्च पर एम्स की देखरेख में हो रहा है, बाकी 3 अपने-अपने स्तर पर ओडिशा और आंध्र प्रदेश के निजी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। सभी की उम्र 40 से 50 साल के बीच है। इनमें 9 नए मरीज हैं, जिन्हें मार्च में हुए ब्लड जांच अभियान के बाद पता चला है कि उनकी किडनी में इंफेक्शन है।