उत्तर प्रदेश सरकार की आरईएस मत्स्य पालन योजना मत्स्य पालकों के लिए किसी वरदान से काम नहीं है। इस योजना के तहत सरकार 60 प्रतिशत अनुदान दे रही है। 40 प्रतिशत किसानों को स्वयं खर्च करना होगा। बलरामपुर जिले के एक किसान ने इस योजना के तहत काम करके सबको चौंका दिया है। एक साल में उसने 12 लाख रुपए मुनाफा कमाया। इस तकनीक को देखने पहुंचे डीएम बलरामपुर से किसान ने बताया कि एक बार तालाब में मछली डालने पर 5 से 6 महीने में तैयार हो जाती हैं। एक बार इनकी बिक्री करने पर 5 से 6 लाख रुपए का मुनाफा होता है। इस किसान की सफलता के बाद डीएम ने योजना को पूरे जिले में बड़े पैमाने पर लागू करने के निर्देश दिए हैं।
बलरामपुर जिले के जिलाधिकारी अरविंद सिंह ने पेहर गांव में मत्स्य विभाग की आरईएस तकनीकी मौके पर पहुंचकर बारीकी से अवलोकन किया। मत्स्य पालक से व्यवसाय की प्रगति और मार्केटिंग के बारे में पूरी जानकारी लिया। डीएम तकनीक से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि यह जिला बाढ़ जैसी आपदा से प्रभावित है। ऐसे में जल संसाधन के उपयोग से किसान आर्थिक उन्नयन की ओर बढ़े इसके लिए प्रशासन ने नई पहल की शुरुआत की है। डीएम ने बताया कि परंपरागत खेती से हटकर किसानों को बागवानी एवं मछली उत्पादन जैसे कृषि व्यवसाय से किसानों को मुहिम चलाकर जोड़े जाने का अधिकारियों को निर्देश दिया। डीएम ने परिसंचरणीय जलकृषि प्रलाणी (आरईएस) को देखा एवं विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने लाभार्थी से बातचीत किया।
मत्स्य पालक ने डीएम को बताई पूरी योजना,6 माह में होता 5 से 6 लख रुपए का मुनाफा
लाभार्थी ने बताया की 50 लाख की लागत से परिसंचरणीय जलकृषि प्रलाणी (आरईएस) का निर्माण कराया है। 60 प्रतिशत सब्सिडी मत्स्य विभाग ने दिया है। आरईएस में 8 टैंक बनाए गए है जिसमें कुल 32 टन मछली उत्पादन किया जा रहा है। लाभार्थी ने बताया की उसने बड़ी और छोटी मछलियों का पालन किया जा रहा है। मछली की एक क्रॉप बेचने पर 5 से 6 लाख का लाभ होता है। मछली की एक क्रॉप पांच से छह महीने में तैयार होती है।
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