मुंबई| डेस्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले घड़ी चुनाव चिन्ह को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अजित पवार की पार्टी को बड़ी राहत दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा कि अखबारों में 36 घंटे के भीतर डिस्क्लेमर छपवाएं कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला अदालत में विचाराधीन है.खासकर इसे मराठी अखबारों में अवश्य छपवाएं.
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अजित पवार आदेश के पालन को लेकर हलफनामा भी दाखिल करें.
मामले की अगली सुनवाई अब 13 नवंबर होगी.
घड़ी चुनाव चिन्ह विवाद पर शरद पवार गुट ने कोर्ट में याचिका लगाई है. जिसमें कहा है कि अजित गुट अदालत का आदेश नहीं मान रहा है. इसलिए उसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में घड़ी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोका जाए.
शरद पवार का कहना है कि न्यायालय ने अजित गुट को अपने विज्ञापनों में घड़ी चुनाव चिन्ह के नीचे यह लिखने को कहा था कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है.
इस पर अजित पवार के वकील बलबीर सिंह ने कोर्ट को बताया कि वह अदालत के पिछले आदेशों का पालन कर रहे हैं.
समाचार पत्रों में नए डिस्क्लेमर के साथ विज्ञापन भी देने वाले हैं. इस पर अदालत ने कहा कि अखबार में डिस्क्लेमर छपवाने में इतना समय क्यों लग रहा है.
इस पर शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अजित पवार गुट ने बिना डिस्क्लेमर लगाए जारी किए गए अपने कई वीडियो डिलीट कर दिए हैं. अभी भी अजित पवार से जुड़े लोग शरद पवार के वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें अभी भी घड़ी लगी हुई है.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने अजित पवार के वकील को कहा है कि अजित पवार गुट का नया हलफनामा दाखिल करें. साथ ही चेतावनी दी है कि कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया तो कोर्ट खुद ही अवमानना का केस शुरू करेगा.
कोर्ट ने यह भी कहा है कि दोनों पक्ष हमारे निर्देशों का पालन करेंगे. अपने लिए शर्मनाक स्थिति न बनाएं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 24 अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी. उस समय भी कोर्ट ने अजित पवार गुट को राहत दी थी.
अदालत ने कहा था कि एनसीपी (अजित गुट) आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिन्ह का इस्तेमाल कर सकता है.
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