बिलासपुर—घुटकू स्थित अनाज मण्डी मैदान में क्रांति सेना, सशस्त्र महिला समहू, जनपद सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बैठक कर प्रस्तावित पारस कोल वाशरी विस्तार के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित महिलाएं और पुरूषों ने अपने नेताओं के साथ संकल्प लिया। सामुहिक रूप से एलान किया कि किसी भी सूरत में घुटकू और आसपास क्षेत्र के खेत खळिहान, हवा और पानी को बरबाद नहीं होने देंगे। 9 मार्च को घानापार स्थित कोल वाशरी विस्तार की विरोध करेंगे। जरूरत पड़ी तो जेल जाने के लिए तैयार रहेंगे। लेकिन शासन की मनमानी को बर्दास्त नहीं करेंगे।
रविवार को शाम करीब साढ़े बजे से 6 बजे के बीच घुटकू स्थित धान मण्डी मैदान में घानापार स्थित कोलवाशरी विस्तार जनसुनवाई के खिलाफ स्थानीय लोगों ने बैठक किया। बैठक में छत्तीसगढ क्रांति सेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता, क्षेत्र के जनपद सदस्य, सामाजिक और सशस्त्र महिला समूह के कार्यकर्ता एकत्रित हुए। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद महिला और पुरूषों ने अपनी बातों को पेश किया।
महिलाओं ने कहा कि अब तक क्षेत्र में बहुत कोलवाशरी खुल चुकी है। लोगों के वादों को देखा और काम को भी देख लिया। अब ना तो हमें वादों की जरूरत है और ना ही किसी के काम को देखना ही चाहते हैं। पिछली जनसुनवाई में भी हमने पारस कोल वाशरी का विरोध किया था। तात्कालीन समय हमें लिखित में बताया गया कि कोल वाशरी का विस्तार नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके तीन सालों में गुपचुप तरीके से कोल वाशरी का विस्तार किया गया।
तत्कालीन सुनवाई के समय संचालकों ने वादा किया था कि किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन आज तक नहीं दिया गया। बल्कि सैकड़ों एकड़ खेती की जमीन में तीन फिट कोयला जम गया है। पैदावार होती नहीं है…होती भी है तो बाजार में मूल्य नहीं है। बेबस किसान रोज बिमारी खाता है। राजस्व अधिकारियों ने भी शिकायत के बाद खेत खलिहान और घूटकू का हवा पानी जांचा परखा । लेकिन उनकी स्थिति बोलने लायक नहीं थी।
मैदान में उपस्थित लोगों को सभी नेताओं ने जनसुनवाई के दौरान संकल्प कराया। खासकर संजू योयरा और दिलीप अग्रवाल ने दुहराया कि पारस कोल वाशरी नियम खिलाफ है। शासन और प्रशासन को धोखा दिया है। परिवहन का कोई साधन नहीं होने के बाद भी शासन को गलत जानकारी दिया है। हम जनसुनवाई के खिलाफ किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि जिले के पर्यावरण अधिकारी नौकरी तो बिलासपुर में करते हैं। लेकिन सारा काम रायपुर स्थित अपने घर से ही निपटाते है। उद्योगपति जो मेल या वाट्सअप पर जो लिखकर भेजते हैं। उस पर मुहर लगा देते हैं। हम 5 मार्च को कलेक्टर से मुलाकात कर निकम्मे पर्यावरण अधिकारी को हटाने की भी मांग करेंगे। जो नियम तो बड़ी बड़ी बताता है..लेकिन एक दिन भी मैदान में पहुंचकर नहीं देखा कि आखिर पिछली सुनवाई के दौरान किए गए कितने वादों को उद्योपतियों ने पूरा किया है।