छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बुधवार की देर रात CAF (छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स) के एक जवान ने अपनी सर्विस रायफल से खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली है। जवान सीएएफ के 15वीं बटालियन का था और वर्तमान में बीजापुर के हेडक्वार्टर में तैनात था। मृतक का नाम सुनील कुमार है और वह मध्यप्रदेश के भिंड जिले का निवासी था। बीजापुर एसपी अंजनेय वैष्णव ने बताया कि बुधवार की देर रात लगभग 12 बजे जवान ने बैरक में रायफल से खुद को गोली मारी है। घटना के वक्त बैरक में 10 और जवान सो रहे थे। मौके से किसी प्रकार का कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
एसपी अंजनेय वैष्णव ने बताया कि जवान ने क्यों की है इसका कारण पता नहीं चल पाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। बीजापुर एसपी के अनुसार जवान का साथी जवानों से हाल फिलहाल में कोई विवाद भी नहीं हुआ था। साथी जवानों के अनुसार कल ही जवान ने अपने परिवार वालों से भी फोन पर बात की थी। जवान ने जिस रायफल से आत्महत्या की वह जवान की स्वयं की सर्विस रायफल थी या नहीं इसकी भी जांच की जा रही है। फिलहाल जवान के शव को उनके गृहग्राम भेजने की तैयारी की जा रही है।
जवानों को मेडिटेशन और योगा करवाने का निर्णय
बस्तर में तैनात जवानों में बढ़ती आत्महत्या की घटना और अपने ही साथियों पर किये जा रहे हमलों को देखते हुए जवानों की मानसिक स्थिति को दुरुस्त रखने उन्हें मेडिटेशन और योगा करवाने का निर्णय भी लिया गया था। एसपी अंजनेय वैष्णव ने बताया कि सीएएफ और सीआरपीएफ के जवानों पर नियंत्रण उनके पास नहीं है। जिले के अधिकारी होने के नाते वे समय-समय पर सभी कैम्पों में जाकर जवानों से मुलाकत कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाते रहते हैं। बीजापुर में मावा पुलिस केतुल कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई है, जिसमें स्कूली बच्चों को कैम्प घुमाया जाता है, जिससे अपने परिवार से दूर रहने वाले जवानों को भी मानसिक तौर पर माहौल बदलने में मदद मिल सके।
जवानों की छोटी-छोटी समस्या बड़ी हो जाती है
बस्तर में लगातार आत्महत्या और साथी जवानों पर हमले के मामले बढ़ने पर बीजापुर एसपी अंजनेय वैष्णव का कहना है कि कई बार जो समस्या हमारे लिए छोटी लगती हैं वो असल में जवानों के लिए बड़ी हो जाती हैं। जवानों को कई बार कैम्प में छोटी-छोटी आवश्यकताएं होती हैं, जिन्हें समय पर पूरा कर दिया जाए तो वे मानसिक तौर पर खुश रहते हैं अन्यथा कई बार इन्ही कारणों से विवाद की स्थिति बनती है। कई बार जवानों की आपसी कहासुनी भी बड़ा रूप ले लेती है। समय पर छुट्टी न मिल पाना और परिवार से लंबी दूरी भी बड़ी वजह होती है। कैम्प में खेलकूद नियमित तौर पर करवाया जाता है, जिससे सभी जवानों के बीच दोस्ताना संबंध बने रहें और कोशिश की जाती है कि कोई बड़ी वजह न हो तो जवानों की छुट्टी न रोकी जाए।
नक्सल क्षेत्र में पहली भी कई घटनाएं हो चुकी
बता दें कि नक्सल मोर्चे पर अर्धसैनिक बलों, डीआरजी, सीएएफ के जवान तैनात हैं। छत्तीसगढ़ के नक्सल मोर्चे पर तैनात कई जवानों द्वारा खुद के हथियार से आत्महत्या करने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी है। सप्ताहभर पहले नारायणपुर जिले में आईटीबीपी के एक एसआई ने खुदकुशी कर ली थी। 29 सितंबर को ITBP 45 बटालियन नारायणपुर के ऑफिस में सब इंस्पेक्टर की लाश फंदे पर लटकी मिली थी। मृतक एसआई दिल्ली का निवासी था। इससे पहले भी बस्तर के नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों द्वारा सर्विस राइफल से गोली मारकर खुदकुशी की घटनाएं हो चुकी है। बीजापुर के ही पामेड़ थाना परिसर में 2 साल पहले छत्तीसगढ़ पुलिस के जवान ने गोली मार ली थी। सुकमा जिले के पुसपाल में छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स के जवान ने बैरक में जान दे दी थी। सुकमा में एक जवान ने अपने ही बैरक में आराम कर रहे जवानों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी थी।