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छत्तीसगढ़ में मछली पालन से 200 लोग बने आत्मनिर्भर, बढ़ा मछली का उत्पादन, मछुआ समूहों की आमदनी भी बढ़ी

कोरबा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घोषणा के अनुरूप कोरबा जिले के ग्राम सतरेंगा क्षेत्र के मछुआ समिति को केज उपलब्ध कराया गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जब इस क्षेत्र के ग्राम-सतरेंगा आए तो उन्होंने मात्स्यिकी समूहों की आवश्यकताओं को समझा और मछुआ समूहों को 1000 नग केज उपलब्ध कराने की घोषणा की। बांगों सिंचाई जलाशय अंतर्गत डूबान क्षेत्र के विस्थापित मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों को कुछ साल पहले तक मत्स्य पालन में आमदनी के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती थी। इससे उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था।

केज उपलब्ध होने से क्षेत्र के मत्स्य पालन से जुड़े मछुआरों के जीवन में अब परिवर्तन आने लगा है। पारंपरिक तरीकों से मत्स्य पालन करने वाले मछुआरों को आधुनिक पद्धति से मछली पालन करने सामग्री उपलब्ध कराने पर न सिर्फ मछली उत्पादन में वृद्धि हुई है, अपितु उनकी आमदनी में भी इजाफा हुआ है। मुख्यमंत्री के घोषणा उपरांत जिला खनिज संस्थान न्यास कोरबा एवं विभागीय सहयोग से बांगो सिंचाई जलाशय के ग्राम-सतरेंगा में 100 नग, ग्राम-गढ़उपरोड़ा में 100 नग तथा निउमकछार में 800 नग केज स्थापना का कार्य पूर्ण किया गया तथा बांगो सिंचाई जलाशय के आस-पास के विस्थापित मछुआ सहकारी समिति के 200 सदस्यों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मत्स्य पालन के व्यवसाय से जोड़ा गया। परिणामस्वरूप मछुआ समूहों की आमदनी पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ गई है और वे आत्मनिर्भरता की राह में आगे बढ़ रहे हैं।

मत्स्य विभाग द्वारा बताया गया कि केज कल्चर एक ऐसी तकनीक है, जिसमें एक जगह होती है, जो आसपास के जल स्रोत जैसे तालाब झील इत्यादि के साथ पानी के मुक्त आदान-प्रदान को बनाए रखती है। जिसमें मछलियों को ऊँगली के आकार से बिकने के आकार में पाला जाता है। इस क्षेत्र के 200 हितग्राहियों में प्रत्येक हितग्राही को 5.5 नग केज आबंटित किया गया है। प्रत्येक केज में 5 हज़ार नग तिलापिया मोनोसेक्स और पंगेशियस मत्स्य बीज संचित कर मत्स्य उत्पादन किया जा रहा है। प्रत्येक केज से लगभग 2000 किलोग्राम मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में प्रत्येक हितग्राही को आबंटित केज से 87 हज़ार रुपए की आय प्राप्त हुई। प्राप्त आय को हितग्राहियों द्वारा मकान की मरम्मत का कार्य, बच्चों के अध्ययन में तथा दैनिक उपयोग की सामग्री क्रय करने में व्यय किया जा रहा है। इस योजना से 200 सदस्य एवं 800 पारिवारिक सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं। केज कल्चर से हितग्राहियों के आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। हितग्राही कृषि के साथ मत्स्य पालन का व्यवसाय कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं एवं उन्हें प्रोटीन युक्त आहार की प्राप्ति हो रही है। उनके आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है।

https://npg.news/corporate/chhattisgarh-mein-machhali-palan-se-200-log-bane-aatmanirbhar-badha-machhali-ka-utpadan-machhua-samuhon-ki-aamadani-bhee-badhee-1244821