Get all latest Chhattisgarh Hindi News in one Place. अगर आप छत्तीसगढ़ के सभी न्यूज़ को एक ही जगह पर पढ़ना चाहते है तो www.timesofchhattisgarh.com की वेबसाइट खोलिए.

समाचार लोड हो रहा है, कृपया प्रतीक्षा करें...
Disclaimer : timesofchhattisgarh.com का इस लेख के प्रकाशक के साथ ना कोई संबंध है और ना ही कोई समर्थन.
हमारे वेबसाइट पोर्टल की सामग्री केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और किसी भी जानकारी की सटीकता, पर्याप्तता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता है। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए या किसी भी टिप्पणी, प्रतिक्रिया और विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
छह भौगोलिक क्षेत्रों के वोटों को संतुलित करना BJP और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले दोनों राष्ट्रीय दल, भाजपा और कांग्रेस, इस साल के अंत में होने वाले चुनावी युद्ध में फिर से आमने-सामने के मुकाबले के लिए तैयार हैं।

जातिगत समीकरणों, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और लोगों की बदलती जरूरतों को देखते हुए राज्य के सभी छह संभागों में अपने मतदाता समर्थन को बरकरार रखना दोनों पार्टियों के लिए हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है।

कांग्रेस ने 1950 से 1977 तक राज्य पर शासन किया। राज्‍य में मजबूत आधार रखने वाला दक्षिणपंथ 1977 में पहली बार सत्‍ता में आया जब भारतीय जनसंघ की सरकार बनी। इसके बाद जनसंघ से निकली भाजपा ने 1990 से 1993 तक शासन किया।

कांग्रेस 1993 में सत्ता में आई और 2003 तक डटी रही। वहीं भाजपा 2003 में सत्ता में वापस आई और, 2018 के चुनावों के बाद 15 महीनों को छोड़कर, लगातार शासन कर रही है।

अब, दोनों पक्ष सत्ता बरकरार रखने या छीनने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। अगर वंशवाद की राजनीति के कारण कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति है, तो भाजपा की स्थापना के पीछे आरएसएस का मजबूत आधार है।

भौगाेलिक तौर पर छह क्षेत्रों में बंटे इस राज्य में कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, शिवराज सिंह चौहान, कांतिलाल भूरिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजेंद्र शुक्ला और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे राजनीतिक दिग्गज हैं, जिनका अपने-अपने क्षेत्र और जातियों पर मजबूत प्रभाव है।

मध्य प्रदेश के लिए कहा जाता है कि भोपाल की कुर्सी उस पार्टी की होती है जो राज्य के छह भौगोलिक क्षेत्रों में से सबसे बड़े मालवा-निमाड़ (इंदौर-उज्जैन संभाग) को जीतता है। विशेष रूप से, राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ इस क्षेत्र से गुजरी थी।

गांधी ने शनिवार को मालवा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शाजापुर जिले में आगामी चुनावों के लिए अपनी पहली सार्वजनिक रैली को संबोधित किया।

इस क्षेत्र में दो बड़े शहर हैं – इंदौर और उज्जैन हैं। क्षेत्र में कुल 66 सीटें हैं, जिनमें से 2018 में कांग्रेस को 35 मिली थीं। (उज्जैन संभाग की 29 में से 11 सीटें और इंदौर संभाग की 37 में से 24 सीटें)।

विंध्य क्षेत्र में, भाजपा ने 2018 में 30 में से 24 सीटें जीतीं। हालांकि, सरकार में भागीदारी की कमी के कारण कांग्रेस भाजपा के खिलाफ भावनाएं पैदा करने में कामयाब रही है और इस क्षेत्र में भाजपा को कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है।

केंद्रीय मंत्रियों-सिंधिया और तोमर के गढ़, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में, कांग्रेस ने 2018 में 34 विधानसभा सीटों में से 27 सीटें जीतीं। सिंधिया तब कांग्रेस के साथ थे। हालाँकि, वह और उनके 22 वफादार विधायक मार्च 2020 में भाजपा में शामिल हो गए, जिससे कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई।

इसी तरह, महाकौशल क्षेत्र में, कांग्रेस का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा, 2018 में कुल 38 सीटों में से 24 उसकी झोली में गईं। इस क्षेत्र में जबलपुर और छिंदवाड़ा शामिल हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ का गढ़ है।

महाकौशल क्षेत्र के आठ जिलों में 15 अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटें हैं। कांग्रेस को 2018 के चुनावों में उनमें से 13 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने शेष दो सीटें जीतीं। यही कारण है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने जबलपुर से पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत की, जबकि दो दिन पहले मुख्यमंत्री चौहान ने वहीं से ‘लाडली बहना योजना’ की पहली किस्त जारी की थी।

भोपाल संभाग, जिसमें रायसेन, विदिशा और मुख्यमंत्री चौहान का गृह जिला सीहोर शामिल हैं, में 25 विधानसभा सीटें हैं। उनमें से 17 भाजपा के पास हैं जबकि आठ कांग्रेस के पास हैं, जिनमें भोपाल जिले की तीन सीटें शामिल हैं। इसी तरह, होशंगाबाद, जिसका नाम पिछले साल बदलकर नर्मदापुरम कर दिया गया था, में कुल 11 विधानसभा सीटें हैं और सत्तारूढ़ भाजपा को उनमें से सात सीटें मिलीं।

The post छह भौगोलिक क्षेत्रों के वोटों को संतुलित करना BJP और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती appeared first on CGWALL-Chhattisgarh News.

https://www.cgwall.com/balancing-the-votes-of-six-geographical-areas-is-a-challenge-for-both-bjp-and-congress/