प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कारीगरों एवं छोटे कारोबारियों के कौशल विकास के लिए आधारभूत व्यवस्था को नए तरीके से तैयार करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य आज के कारीगरों को कल का बड़ा कारोबारी बनाना है। इसके लिए उनके उप-बिजनेस माडल में स्थायित्व जरूरी है। उनके उत्पाद की पैकेजिंग, डिजाइनिंग और ब्रांडिंग पर काम किया जाएगा। ग्राहकों की जरूरतों का भी ध्यान रखा जाएगा। स्थानीय बाजार के साथ-साथ हम ग्लोबल मार्केट पर भी नजर रख रहे। प्रधानमंत्री शनिवार को ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ विषय पर पोस्ट बजट वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
योजना की आवश्यकता और ‘विश्वकर्मा’ नाम के औचित्य के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने उद्योगपतियों से शिल्पकारों में जागरूकता बढ़ाने और मदद करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का सबसे बड़ा शिल्पकार माना जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज में कारीगरों की समृद्ध परंपरा रही है। कुशल कारीगर प्राचीन भारत में निर्यात के लिए अपने तरीके से योगदान दे रहे थे, लेकिन दुख है कि इस कुशल कार्यबल को लंबे समय तक उपेक्षित किया गया और गुलामी के लंबे संघर्षों के दौरान उनके काम को गैर-महत्वपूर्ण माना गया। स्वतंत्रता के बाद भी उनकी बेहतरी के लिए हस्तक्षेप नहीं किया गया। इसके चलते शिल्प कौशल के कई पारंपरिक तरीकों को अगली पीढ़ी ने छोड़ दिया। कई लोग आज भी पुश्तैनी व्यवसाय छोड़ रहे हैं। इसलिए हम उनके हाल पर उन्हें नहीं छोड़ सकते।
प्रधानमंत्री ने हितधारकों से सशक्त खाका तैयार करने का आग्रह किया और कहा कि वस्त्र उद्योग की तरफ तो खूब ध्यान दिया गया, लेकिन लोहार, स्वर्णकार, बढ़ई, कुम्हार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री जैसे काम में लगे लोगों की विशिष्ट सेवाओं की सदियों से उपेक्षा की गई। स्वतंत्रता के बाद भी इन्हें सहयोग नहीं मिला, जबकि छोटे कारीगर स्थानीय शिल्प निर्माण और देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये जितना निपुण होंगे, देश को उतना ही अधिक सफलता मिलेगी।
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