सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह देश में बाघों की मौत के बारे में उसे जानकारी उपलब्ध कराए। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने बाघों की मौत के बारे में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों पर संज्ञान लेते हुए यह जानकारी तलब की।
शीर्ष अदालत अधिवक्ता अनुपम त्रिपाठी की ओर से 2017 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में लुप्तप्राय बाघों को बचाने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि यद्यपि याचिकाकर्ता मौजूद नहीं हैं, लेकिन प्रतिवादी भारत में बाघों की कथित मौत के बारे में पता लगाएंगे। साथ ही कोर्ट ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार, भारत में 2012 के बाद से 1,059 बाघों की मौत हुई है, जिसमें सबसे अधिक मौतें (270) मध्य प्रदेश में दर्ज की गई हैं। केंद्र ने 27 जनवरी को शीर्ष कोर्ट को अवगत कराया था कि वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के 53 बाघ अभयारण्यों में 2,967 बाघ हैं।
अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया था कि बाघों के संरक्षण और उनकी आबादी बढ़ाने के लिए काफी काम किया गया है। याचिका में कहा गया था कि बाघों को स्थानीय लोगों और अधिकारियों द्वारा जहर देकर और अवैध शिकार करके मारा जा रहा है।
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