पंजाब विजीलैंस ब्यूरों ने साल 2020 में दर्ज दो मामलों को लेकर अगली कार्रवाई के लिए सरकार के आला अधिकारियों से मानयोग कोर्ट में ट्रायल चलाने के आला अधिकारियों से अनुमति मांगी है। करीब 3 साल से अधिक समय के बाद ब्यूरों के इस कदम से जीएसटी विभाग में तैनात कई अधिकारियों के हाथ पांव फूलने शुरू हो गए।
सूत्रों के अनुसार ब्यूरो की तरफ से विभाग से संबधित चीफ सेक्रेटरी स्तर के अधिकारियों को इसके लिए पत्र भी लिख कर भेजा है, ताकि इस प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जा सके। माना जा रहा है कि कुछ ही दिनों में ब्यूरों को इस बात की अनुमति मिल जाएगी, क्योंकि सरकार की तरफ से भी इस मामले में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए है ताकि कार्रवाई को आगे बढाया जा सके। गौर है कि पंजाब विजीलेंस ब्यूरो की तरफ से साल 2020 के अगस्त महीने में एफआईआर नंबर 8 व 9 आईपीसी की धारा 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी व भ्रष्टाचार एक्ट के तहत दर्ज की थी। इस दौरान विजीलैंस ने डीईटीसी, एसटीजोज, इंस्पेक्टरों समेत निजी ट्रास्पोर्टरों को गिरफ्तार किया था।
जिसमें विभाग के करीब 23 अधिकारी शामिल थे। करीब एक महीने बाद विभाग की एसोसिएशनों ने विजीलेंस पर धक्केशाही का आरोप लगाते हुए हड़ताल करने की धमकी दी थी और उनकी मांग थी कि विजीलेंस किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले विभाग को सूचित करें। जिस पर तत्कालीन सरकार ने इस कार्रवाई को रोक दिया था। जितने अधिकारियों को गिरफ्तार किया था बाद में वह मानयोग हाइकोर्ट या मानयोग सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर छूट गए थे और कुछ समय के बाद विभाग में तैनात भी हो गए थे।
सूत्रों का कहना है कि उस समय विभाग के पास गिरफ्तार किए गए अधिकारियों के अलावा करीब 15 से 20 अधिकारियों की लिस्ट मौजूद थी। इस लिस्ट में शामिल कई अधिकारियों की प्रमोशन भी हो चुकी है और वह ऊंचे पदों पर पहुंच गए है। उसके बाद विजीलेंस विभाग को इन अधिकारियों के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति नहीं मिली क्योंकि कई अधिकारियों ने अपने रसूक के चलते इसे रोक कर रखा हुआ था। जमानत पर छूट कर आए भी कई अधिकारी ऊंच पदों पर पहुंच चुके है।
लेकिन कुछ दिन पहले ही विभाग की तरफ से एक अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में कार्रवाई की थी और उसके निकटम सहयोगी को गिरफ्तार किया था। उसके बाद इस मामले को लेकर विभाग ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी है। इस कार्रवाई से विभाग की तरफ से उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है, जिनकी लिस्ट विभाग के पास है, जो कि उस समय कार्रवाई रूकने के लिए बच गए थे और अब ऊंच पदों पर तैनात है। सूत्रों का कहना है कि इस मामलें में विभाग उन लोगों को भी दोबारा बुला कर उनके बयान के संबंध में हल्फिया बयान लेने की तैयारी कर रहा है।
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