रायपुर 23 मई।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 10 वर्ष पूर्व बस्तर के झीरम नक्सली हमले पर भाजपा नेताओं की बयानबाजी पर उन्हे आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि झीरम घटना उनके लिए राजनीति का नही बल्कि भावनात्मक विषय है।
श्री बघेल ने आज यहां पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि इस घटना को लेकर तीन चार ऐसे सवाल है जोकि तमाम संदेह को जन्म देते है।उन्होने पूछा कि घटना शाम चार बजे की है, रोड ओपनिंग पार्टी को क्यों हटाया गया,नाम पूछ पूछ कर हत्याएं की गई,जबकि कभी नाम पूछ पूछकर हत्याएं नक्सलियों के करने की बात सुनी नही गई है,और तीसरा कि एनआईए की कोर्ट से पूछा कि तेलगांना में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से क्यों पूछताछ नही की गई।जिसका एनआईए ने कोई जवाब नही दिया।
उन्होने कहा कि जिस न्यायधीश ने यह पूछा उसका ट्रांसफर करवा दिया गया,उसके घर के समीप सुतली बम फोड़कर उसे डराने की कोशिश की गई,इस आशय की खबरें मीडिया में आई।उन्होने कहा कि एनआईए से जांच वापस करने के लिए पत्र व्यवहार किया,गृह मंत्रालय को चिठ्ठी लिखी गई ।राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन जांच के लिए किया तो एनआईए ने न्यायालय में जाकर जांच नही करने दिया।उन्होने आरोप लगाया कि एनआईए ने न तो सहीं जांच की और न ही राज्य सरकार को जांच करने दे रही है।आखिर क्यों ? उन्होने कहा कि हमारे नेताओं की जान चली गई,और भाजपा के नेता ऊलजुलूल बयानबाजी कर रहे है।यह निर्लज्ज लोग है इन्हे शर्म भी नही आती।
ज्ञातव्य हैं कि 25 मई 13 को नक्सलियों ने सुकमा में कांग्रेस का परिवर्तन रैली से लौट रहे कांग्रेस नेताओं के काफिले पर झीरम घाटी में हमला कर दिया था जिसमें कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेताओं समेत 32 लोगो की मौत हो गई थी।हमले में मारे गए लोगो में प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नन्द कुमार पटेल,पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला,पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेन्द्र कर्मा शामिल थे।
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