सतना| डेस्कः मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक दलित महिला सरपंच को ग्राम सभा में बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं दी गई. महिला सरपंच ने खुद ही ग्राम सभा की बैठक बुलाई थी.
आरोप है कि जब वह पहुंची तो उन्हें उपसरपंच और सचिव ने यह कहते हुए अपमानित किया कि आपके बैठने के लिए यहां कुर्सी नहीं है, कुर्सी घर से लेकर आओ, नहीं तो जमीन पर बैठ जाओ या खड़े रहो.
इतना ही नहीं 15 अगस्त को महिला सरपंच को झंडा फहराने से भी रोक दिया गया.
सरपंच ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत कलेक्टर, एसडीएम, पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के साथ ही सरपंच संघ और पंचायत राज परिषद से की है.
घटना सतना जिले के ग्राम पंचायत अकौना की है.
ठाकुर बाहुल्य इस गांव में पहली बार दलित समाज की महिला ने सरपंच का चुनाव जीता है.
सरपंच श्रद्धा सिंह ने बताया कि गांव में 17 अगस्त को ग्राम सभा की बैठक थी. जब वह बैठक में पहुंची और बैठने के लिए कुर्सी मांगी तो उपसरपंच तैश में आ गया.
उपसरपंच और सचिव ने उन्हें कुर्सी देने से मना कर दिया और कहा कि अगर कुर्सी चाहिए तो अपने घर से लेकर आओ, नहीं तो जमीन पर बैठ जाओ या खड़े रहो.
सरपंच का आरोप है कि इसके दो दिन पहले, राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त को उन्हें झंडा नहीं फहराने दिया गया.
पंचायत द्वारा तय किया गया था कि पंचायत भवन में ध्वजारोहण सरपंच द्वारा ही किया जाना है. यही राज्य सरकार का आदेश भी था.
पंचायत सचिव विजय प्रताप सिंह को भी इस बात की जानकारी थी.
सरपंच ने बताया कि जब वह पंचायत भवन पहुंचीं तब तक उपसरपंच धर्मेन्द्र सिंह बघेल ने ध्वजारोहण कर दिया था.
सरपंच श्रद्धा का कहना है कि इसी प्रकार से हमेशा उनके साथ दुर्व्यहार किया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक दलित महिला होने के कारण उन्हें हमेशा अपमान और जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि वह गांव में कोई भी काम करवाने की कोशिश करती हैं तो उनका विरोध किया जाता है.
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