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दिल्ली प्रदूषण के लिए थर्मल पावर प्लांट जिम्मेदार नहीं, DPCC का NGT को जवाब

डीपीसीसी ने कोर्ट को बताया है कि दिल्ली में आईटीओ, राजघाट और बदरपुर में स्थित सभी तीन कोयला आधारित पावर प्लांट वर्ष 2009, 2015 और 2018 में बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में दिल्ली में कोई भी कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट संचालित नहीं है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए थर्मल पावर प्लांट जिम्मेदार नहीं हैं। इसका खुलासा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपे अपने हालिया जवाब में दिया है।

डीपीसीसी ने कोर्ट को बताया है कि दिल्ली में आईटीओ, राजघाट और बदरपुर में स्थित सभी तीन कोयला आधारित पावर प्लांट वर्ष 2009, 2015 और 2018 में बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में दिल्ली में कोई भी कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट संचालित नहीं है। दरअसल, पिछली सुनवाई को मामले की गंभीरता को समझते हुए अदालत ने सख्त रुख अपनाया था।

कोर्ट ने मामला वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के उल्लंघन को देखते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीसीबी), हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसी), पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

मामले में अधिकरण ने वायु प्रदूषण को लेकर मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया था। इस रिपोर्ट में फिनलैंड बेस्ड स्वतंत्र थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के अध्ययन का हवाला दिया गया था। 281 किलो टन सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं प्लांट : रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली की हवा को खराब करने के लिए पराली जलाना या वाहन मुख्य कारण नहीं है, बल्कि थर्मल पावर प्लांट है। जो वातावरण में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। पावर प्लांट पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से 16 गुना अधिक वायु प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। यही नहीं, एनसीआर में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट सालाना 281 किलो टन सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ-2) उत्सर्जित करते हैं।

रिपोर्ट में सीआरईए के एक अध्ययन का हवाला देकर कहा गया कि एनसीआर के थर्मल प्लांट से प्रतिवर्ष 281 किलो टन सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ-2) उत्सर्जित होती है। वहीं, दूसरी ओर 8.9 मिलियन टन पराली जलाने से 17.8 किलोटन एसओ-2 पैदा होती है।

प्रदूषण संकट को बढ़ा रही मौसम की स्थिति
दिल्ली में मौसम की स्थिति प्रदूषण संकट को और बढ़ा रही है। रुकी हुई हवा और गिरता तापमान प्रदूषकों को फैलने नहीं दे रहे। इससे हवा में धूल, धुआं और अन्य हानिकारक कण फंस गए हैं। इससे पराली के धुएं जैसे प्रदूषक दिल्ली और आसपास के इलाकों में बने रहते हैं, जो हवा की गुणवत्ता को जहरीला बना रहे हैं।

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