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निर्णायक दिन: छत्तीसगढ़ में हड़ताल होगा खत्म या फिर और होगा तेज…पढ़िए इस खबर को

रायपुर। 22 अगस्त से जारी हड़ताल को लेकर आज कोई निर्णायक फैसला हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि फेडरेशन ने आज अपनी महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। हालांकि यह बैठक पहले मंगलवार को बुलाई गई थी लेकिन अपरिहार्य कारणों से यह बैठक नहीं हो सकी और फिर इसे 1 सितंबर यानी आज के लिए आगे बढ़ा दिया गया । इधर हड़ताल के विषय में कुछ अपडेट भी हुए हैं जिसमें जहां कल दोपहर को प्रदेश के मुख्यमंत्री के टि्वटर और फेसबुक अकाउंट से हड़ताली कर्मचारियों के नाम पर मार्मिक अपील जारी हुई और यह कहा गया कि जनता की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए हड़ताल समाप्त कर दिया जाना चाहिए और सरकार समयानुसार कर्मचारियों की अपील पर निर्णय लेगी। वहीं देर शाम एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने एक बार फिर दो टूक कहा की

कर्मचारी हड़ताल पर कब तक रहेंगे उन्हें वापस आ जाना चाहिए…. मुलाकात के संबंध में उन्होंने कहा कि मुझसे मुलाकात करने के बाद ही तो हड़ताल पर गए हैं जब काम पर लौट जाएंगे तो चर्चा भी हो जाएगी…. वही कार्रवाई के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा की यदि हड़ताल से नहीं लौटते हैं तो 2 तारीख के बाद कार्यवाही अवश्य होगी ।

मुख्यमंत्री के सारे कथन के अपने मायने हैं लेकिन इससे उलट जैसे ही यह मैसेज सोशल मीडिया में वायरल हुआ और मुख्यमंत्री का वीडियो मैसेज सभी ग्रुप में पहुंचा वैसे ही अधिकांश ग्रुप में कर्मचारियों की तीखी प्रतिक्रिया का आना शुरू हो गया। हड़ताल में जुटे कई कर्मचारियों का यह कहना है अब वापस लौटना वह भी बिना किसी सौगात के सही नहीं होगा और इससे भविष्य में आंदोलन खड़ा करने की उम्मीदें नेस्तनाबूद हो जाएंगी। इधर आंदोलन संचालित कर रहे फेडरेशन के नेताओं की भी अपनी दिक्कतें हैं क्योंकि मुख्यमंत्री के रुख को देखते हुए लगता नहीं कि फिलहाल सरकार झुकेगी, ऐसे में बिना संवाद के हड़ताल को जारी रखना भी किसी मुसीबत से कम नहीं है। मुख्यमंत्री ने कल एयरपोर्ट पर फिर इस बात को दोहराया कि मुझसे बात करके ही तो हड़ताल में गए हैं इसका सीधा सा मतलब है कि मुख्यमंत्री इस बात को लेकर नाराज हैं और फिलहाल मुलाकात की गुंजाइश न के बराबर है चूंकि वित्त विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है इसलिए इस संबंध में जो भी निर्णय लिया जाना है वह मुख्यमंत्री द्वारा ही लिया जाना है और तमाम प्रयासों के बाद भी मुख्यमंत्री से फेडरेशन की मुलाकात नहीं हो सकी है। ऐसे में आगे भी इसकी संभावना कम है और हड़ताल खत्म होने के बाद ही मुख्यमंत्री कर्मचारी नेताओं से मिलने की बात कह चुके हैं। कुल मिलाकर कर्मचारी फेडरेशन के नेताओं के सामने बड़ा धर्म संकट है क्योंकि जिन से बात करके कुछ हासिल होना है वह बात करने को तैयार नहीं है और जिनके बलबूते हड़ताल हो रहा है वह हड़ताल को और अधिक लंबा खींचना चाहते हैं और किसी भी हाल में बिना किसी सौगात के लौटना नहीं चाहते हैं। ऐसे में यदि हड़ताल को आगे बढ़ाया जाता है तो सरकार के साथ सीधे टकराव की स्थिति है और यदि नहीं बढ़ाया जाता है तो वह तमाम कर्मचारी नाराज हो सकते हैं जो फेडरेशन के बुलावे पर हड़ताल में थे। इधर जो हड़ताल से बाहर हैं उनकी भी यह अप्रत्यक्ष कोशिश है की हड़ताल जारी रहे क्योंकि इससे उन्हें अपना हिसाब बराबर करने का मौका मिलेगा , जिन संगठनों ने हड़ताल का खुलकर विरोध किया है उन्हें मंच से भी खूब जमकर कोसा गया है और ऐसे ऐसे शब्दों का उपयोग किया गया है जो आमतौर पर सार्वजनिक मंच से सुनाई नहीं पड़ते। कुल मिलाकर आज का दिन सरकार के लिए, फेडरेशन के लिए और व्यक्तिगत तौर पर कमल वर्मा के लिए बड़ा दिन है। क्योंकि आज हड़ताल पर निर्णायक फैसला आने की पूरी संभावना है ।

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