एम्स बठिंडा की स्थिति डायरेक्टर डी.के. सिंह की तानाशाही के कारण तनावपूर्ण होती जा रही है। 600 से अधिक नर्सिंग ऑफिसर ओर अन्य स्टाफ बुधवार से हड़ताल पर जाने के लिए वाध्य है। पिछले दो सप्ताह से एम्स का नर्सिंग स्टाफ शांतमई आंदोलन कर रहा है यहां तक कि कई दिन लगातार उन्होंने कैंडल मार्च भी निकाला। मंगलवार को नर्सिंग स्टाफ अपनी मांगों के समर्थन में एम्स के बाहर प्रदर्शन करना चाहता था लेकिन सिक्योरिटी गार्डों ने दरवाजा बंद कर बाहर जाने नहीं दिया जिससे हंगामा बढ़ा।
नर्सिंग एसोसिएशन जिला बठिंडा की अध्यक्ष स्वर्णजीत कौर भी उनके समर्थन में आ खड़ी। उन्होंने कहा कि नर्सिंग स्टाफ की मांगे जायज है उन्हें तुरंत मान लेना चाहिए। अन्यथा सरकारी नर्सिंग के साथ अन्य वर्गों का समर्थन भी इन्हें मिलेगा जिससे एम्स पर इसका असर पड़ेगा। बुधवार से हड़ताल पर जाने से हजारों मरीज जो एम्स में इलाज करवा रहे है कि जान खतरे में पड़ जाएगी और अस्पताल पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
नर्सिंग ऑफिसर एम्स प्रशासन के विरुद्ध लगातार रोष प्रदर्शन कर रही हैं। उनका कहना है कि नर्सों का प्रोवेशन पीरियड दो वर्षों से बढ़ाकर चार वर्ष कर दिया गया है जो इनके साथ अन्याय है। अन्य एम्स की तरह महीने में 6 छुट्टी की बजाए 8 छुट्टी की जाए। नर्सिंग ऑफिसर का आरोप है कि डायरेक्टर व प्रशासनिक अधिकारी नर्स स्टाफ को टार्चर कर रहे है जो उन्हें बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नर्सिंग ऑफिसर भर्ती के लिए 75 प्रतिशत कोटा एम्स की नर्सों को दिया जाना चाहिए और 25 प्रतिशत बाहरी रखना चाहिए। लेकिन तानाशाही डायरेक्टर इसके उल्ट चल रहा है जिसे लेकर उन्होंने डायरेक्टर के विरुद्ध खूब नारेबाजी की। नर्सिंग ऑफिसर ने स्पष्ट कहा कि वह 6 दिसम्बर से हड़ताल पर जाएगें जिससे आपातकालीन, ओ.पी.डी., वार्ड, मरीज सहित एम्स प्रभावित होगा। इसकी जिम्मेवारी डायरेक्टर डी.के. सिंह पर होगी, अगर कोई भी अनहोनी होती है तो एम्स प्रशासन जिम्मेवार होगा।
नर्सिंग ऑफिसर प्रदर्शन के बारे में डी.के. सिंह का कहना है कि उनके साथ बातचीत जारी है ओर जरूरी सेवाएं बंद नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि सभी को बुलाकर समझा दिया गया है कि मरीजों की सेवाएं बंद नहीं होनी चाहिए अगर ऐसा कुछ हुआ तो कार्रवाई होगी।
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