चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) के तैंतीस MBBS छात्रों को मंगलवार से शुरू हुई प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया, उसके बाद उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया।
33 एमबीबीएस छात्रों में से 27 जातीय दंगे के कारण विस्थापित हैं और छह गैर-विस्थापित हैं।
एमबीबीएस छात्रों ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को संबोधित ज्ञापन चुराचांदपुर के अतिरिक्त उपायुक्त थांगबोई गंगटे को सौंपा। इनमें से 27 विस्थापित आदिवासी एमबीबीएस छात्रों ने कहा है कि उन्होंने अपने परीक्षा फॉर्म भरे और अपनी उचित परीक्षा फीस जमा की और अन्य औपचारिकताएं पूरी कीं, पिफर भी उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया।
ज्ञापन में कहा गया है कि उन्हें सूचित किया गया कि प्रवेशपत्र और अन्य परीक्षा सामग्री केवल छह एमबीबीएस छात्रों के लिए भेजी गई थी, इसलिए बाकी विस्थापित छात्रों को बाहर कर दिया गया।
छात्र बहुत परेशान हो गए, क्योंकि चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के उनके साथी विस्थापित छात्रों को इंफाल के जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जेएनआईएमएस) में अपनी पढ़ाई निर्बाध रूप से जारी रखने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उनके खिलाफ ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया था।
छात्रों ने राज्यपाल से उनके मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया, ताकि वे एमबीबीएस चरण -1 परीक्षा में बैठ सकें।
इस बीच, मणिपुर के कांगपोकपी जिले में सोमवार को घात लगाकर किए गए हमले में कुकी-ज़ो के दो लोगों की हत्या के विरोध में 48 घंटे के बंद के कारण आदिवासी बहुल इलाकों में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
शीर्ष कुकी-ज़ो आदिवासी निकाय, कांगपोकपी स्थित आदिवासी संगठन, कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी सदर हिल्स (सीओटीयू) द्वारा लगाया गया आपातकालीन पूर्ण बंद बुधवार को शाम 6 बजे खत्म होगा।
आंदोलनकारी समूह के सदस्यों को इंफाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-2) पर पूर्ण बंद को सख्ती से लागू करते हुए देखा गया।
पूर्ण बंद के दौरान सभी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे जबकि शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहे।
सीओटीयू ने पूरे कांगपोकपी में 48 घंटे का आपातकालीन पूर्ण बंद लागू करते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की और हत्याओं का मामला सीबीआई को सौंप दिया।
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