पाकिस्तान में आठ फरवरी को चुनाव हुआ था। चुनाव के बाद सियासी बखेड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश में तीन दिन से इंटरनेट बंद है तो वहीं इस्लाबाद उच्च न्यायालय ने तीन निवार्चन क्षेत्रों का परिणाम रद्द कर दिया है।
पाकिस्तान चुनाव नतीजे आ चुके हैं, कौन सी पार्टी सरकार बनाएगी और प्रधानमंत्री कौन बनेगा? ये सवाल अब भी बना हुआ है।भारत ने पाकिस्तान में हुए इस बार के चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जबकि चीन कुछ ज्यादा ही उत्साहित है। सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने चुनाव से निपटने के तरीके की सराहना की और सफल चुनाव के लिए बधाई दी जबकि पाकिस्तान के हालातों के बारे में किसी से कुछ छिपा नहीं है। यहां के ज्यादातर दलों ने धांधली के आरोप लगाए हैं।
आठ फरवरी को हुआ था चुनाव
पाकिस्तान में आठ फरवरी को चुनाव हुआ था। चुनाव के बाद सियासी बखेड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश में तीन दिन से इंटरनेट बंद है तो वहीं इस्लाबाद उच्च न्यायालय ने तीन उम्मीदवारों की जीत को चुनौती दिए जाने के बाद तीनों निर्वाचन क्षेत्रों का परिणाम रद्द कर दिया है।
पाकिस्तानी लोगों की पसंद का पूरा सम्मान: चीन
इन सबके बीच चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, ‘हमने देखा कि पाकिस्तान में आम चुनाव मौटे तौर पर स्थिर और सुचारू तरीके से हुए और हम बधाई देते हैं। एक करीबी और मित्र पड़ोसी के रूप में, चीन पाकिस्तानी लोगों की पसंद का पूरा सम्मान करता है और उम्मीद करता है कि पाकिस्तान की संबंधित पार्टियां चुनाव के बाद राजनीतिक एकजुटता व सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगी। साथ ही देश के विकास के लिए संयुक्त रूप से उज्जवल भविष्य का रास्ता खोलेंगी।’
निंग ने कहा, ‘चीन और पाकिस्तान हमेशा से रणनीतिक सहयोग वाले साझेदार रहे हैं। चीन पाकिस्तान के साथ दोस्ती बनाए रखने, विभिन्न क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग को गहरा करने और दोनों देशों के लाभ के लिए भविष्य में काम करने की उम्मीद करता है।’
तनाव शांत करने का मकसद: रिपोर्ट
चीन के इस बयान को पाकिस्तान की सेना को समर्थन करने के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने यहां के चुनाव की आलोचना की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चुनाव में धांधली के कारण चल रहे विवाद को शांत करने के लिए चीन ने ऐसा बयान दिया है। उनका कहना है कि यह समर्थन बिलावल भुट्टो जरदारी और इमरान खान जैसी आवाजों को चुनौती देता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर स्थिरता के लिए चीन की प्राथमिकता का संकेत देता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन का बयान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के नेतृत्व को मंजूरी देने का भी संकेत है। कर्ज में डूबे देश में तनाव को शांत करने के उद्देश्य से चीन ने यह बयान दिया है। इतना ही नहीं, यह कदम लोकतांत्रिक मानदंडों और क्षेत्रीय प्रभाव के संबंध में चीन और अमेरिका के बीच तनाव को भी उजागर करता है, जो संभावित रूप से देशों के बीच भविष्य के राजनयिक संबंधों को प्रभावित करता है।
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