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पानी नहीं गिरा तो बीज खराब, अब दोबारा बुवाई के लिए बीज नहीं

रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ में मौसम की बेरुखी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

बारिश की आस में किसानों ने खेतों में धान की बोनी कर दी, लेकिन बारिश नहीं हुई. खेतों में पड़े बीज अंकुरित तो हुए, लेकिन फिर पानी के कमी के कारण सूख गए.

अब किसान दोबारा बुवाई के लिए बीज खोज रहे हैं, लेकिन उन्हें बीज नहीं मिल रहा है. इससे किसान काफी परेशान हैं.

छत्तीसगढ़ में जून के पहले पखवाड़े में मानसून के आने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन मानसून के आने में देरी हुई.

इतना ही नहीं, मानसून के आ जाने के बाद भी जिस तरह की बारिश की उम्मीद जताई जा रही थी, वह नहीं हुई.

बारिश की उम्मीद में किसानों ने खेतों में धान की बोनी कर दी थी. उन्हें लगा कि बारिश होते ही धान अंकुरित हो जाएगा, लेकिन बारिश ने उन्हें दगा दे दिया.

जब तक बारिश हुई, तब तक काफी देर हो चुकी थी. नमी की वजह से खेतों में बीज अंकुरित तो हो गए, लेकिन बाद में पानी न मिलने के कारण सूख भी गए.

इससे न केवल बीज खराब हुए, बल्कि किसानों का पैसा और समय भी बर्बाद हुआ.

अब बारिश के बाद इन खेतों में दोबारा बुवाई की जरूर है, लेकिन बीज मिल नहीं रहे हैं. बोनी का समय भी लगभग खत्म होने को है.

खुर्रा बोनी करने के कारण किसानों के पास रोपाई के लिए थरहा भी नहीं है. ऐसे में राज्य के कई इलाकों में खेतों के परती पड़ने की आशंका जताई जा रही है.

हालांकि, किसानों के पास लैहरा बोनी का अंतिम विकल्प बचा हुआ है, जिसमें धान के बीज को बाहर अंकुरित कर खेत में छिड़काव किया जाता है.

बोनी के लिए बचे अब गिनती के दिन

बोनी के लिए अब गिनते के दिन बचे हैं, लेकिन इस आखरी दौर में किसानों के पास बीज नहीं हैं.

सहकारी समितियों में दो सप्ताह पहले ही बीज खत्म हो चुके हैं.

किसान इसी आस में समितियों के चक्कर लगा रहे हैं कि कहीं तो बीज मिल जाए, लेकिन उन्हें निराश होकर ही लौटना पड़ रहा है.

निजी दुकानों में भी बीज नहीं मिल रहा है. जिनके पास बीज हैं, वे किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए काफी अधिक दर पर उन्हें बेच रहे हैं.

जो बीज समितियों में 34 रुपए किलो मिल जाता है, किसान उसे मजबूरन बाजार से 100 से 120 रुपए किलो में खरीदने के लिए बाध्य हैं.

लक्ष्य से कम बीज वितरित

राज्य में खरीफ सीजन के लिए इस बार लक्ष्य से कम बीज का वितरण किया गया है.

सरकार ने बोनी के लिए सहकारी समितियों और निजी क्षेत्र के माध्यम से 8 लाख 8 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज का वितरण किया है, जो मांग का 83 प्रतिशत है.

वहीं राज्य में खरीफ की विभिन्न फसलों के प्रमाणित बीज की कुल मांग 9 लाख 78 हजार क्विंटल है.

जबकि खरीफ वर्ष 2023 में प्रदेश में कुल 9.43 लाख क्विटल प्रमाणित बीज वितरण किया गया था.

59 फीसदी हुआ बोनी

छत्तीसगढ़ में अब तक लक्ष्य का 59 प्रतिशत बोनी का काम पूरा हो चुका है.

राज्य सरकार ने 48.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बोनी का लक्ष्य रखा था. अब तक कुल 28.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बोनी हो चुकी है.

आंकड़ों के अनुसार 59 प्रतिशत बोनी हो चुकी हैं, लेकिन स्थिति इससे विपरित है. खेतों में फसल दिखाई नहीं दे रही है.

बीज नहीं बनाना पड़ रहा महंगा

जैसे-जैसे खेती का तरीका बदल रहा है, कृषक भी बदल रहे हैं.

किसानों को अपने पारंपरिक बीज से कहीं ज्यादा विश्वास प्रमाणित बीज पर होने लगा है. यही वजह है कि किसानों ने बीज रखना छोड़ दिया है.

किसान जब घर में बीज तैयार करते थे तो दो-चार क्विंटल अतिरिक्त बीज उनके पास रहता ही था.

महंगाई की वजह से किसान अब जरूरत के मुताबिक ही बीज खरीदते हैं. मौसम की मार से वह भी खराब हो गया. इससे अब किसान बीज के लिए भटक रहे हैं.

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