(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
इसमें दोमत नहीं कि, वरिष्ठ नेताओं के बयान से ज्यादा उनके मंच पर मौजूद नेताओं के नाम पर हुए संबोधन पर माननीयों का ज्यादा ध्यान होता है। एक बार कि चूक कहे या सियासत का हिस्सा, बड़ा भारी सा पड़ जाता है। इस कारण प्रदेश के एक मंत्री डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। बीते दिनों हुए कार्यक्रम सर्व माननीय ने उनका नाम मंच से नहीं लिया। एक बार तो ठीक लेकिन बीते एक माह में ऐसा लगातार हो रहा है। फिर माननीय का नाम अपने संबोधन के बीच में लेकर मंच की गरिमा को संतुलित करने की कलाकारी आग में घी का काम कर रही है। वैसे मंत्री जी के लिए यह अच्छे संकेत नहीं माने जा रहे हैं। माननीय के खेमे में ही चर्चाओं का माहौल बेहद गर्म है।
मंत्रालय में बड़ी बैठक थी। सभी अफसर तैयारी से मुस्तैद थे। बारिश के दौर और एयर कंडीशनर दून में गर्मी भी महसूस हो रही थी। माननीय पहुंचे और फिर हुई बैठक। बैठक में एक-एक कर जानकारी ली जा रही थी। प्रदेश की वरिष्ठ महिला अफसर भी मौजूद थीं। तभी एक मामले को लेकर बात शुरू हुई। फाइल पर साइन का मामला था। माननीय ने पूछा। क्यों भाई क्या है यह। जानकारी दी गई कि साहब ने साइन नहीं किए। फिर तमतमाए साहब ने भरी बैठक में एक शब्द ऐसा बोला कि सब चौक गए। अब साहब की आदत है तो उन्हें पता आखिर चलता ही नहीं । लेकिन, थोड़ी देर बाद जब एक नजदीकी ने उनके कान में कुछ कहा। और माननीय असहज हो गए। हालांकि यह पहली बार नहीं इससे पहले भी कई बार माननीय अपनी आदत से परेशान हैं।
मंत्रालय के एक बड़े साहब अपने आप को कहते है। एक माननीय के संपर्क जो उनका खास है। रंगीन मिजाज अधिकारी बीते दिनों में एक प्रसंग में पड़ गए। घूमना फिरना, खाना पीना इन बातों की खबर को हवा क्या लगी मानों आबकारी विभाग की फिजा में मोहतरमा का दबदबा पहले से कई गुना बढ़ गया। जब मामला कुछ ज्यादा ही हवा हुआ तो साहब ने भी किनारा करना शुरू कर लिया। सुना है अब मानसिक परेशानियों का दौर शुरू हो गया है। मैडम के कोप भाजन का शिकार बेचारे अधिनस्त। रंगीन मिजाज साहब तो फिर मस्त और व्यस्त हो गए हैं। आखिर उन्हें यह समझाने की हिम्मत कौन करें, ये आग का दरिया है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस अगले हफ्ते ग्वालियर-चंबल में एक बड़ा प्रदर्शन करने जा रही है इस आंदोलन में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता मौजूद रहेंगे, आंदोलन के नेतृत्वकर्ता नेताजी ने सभी से फोन लगाकर प्रदर्शन में आने की सहमति ली और उसके बाद फिर पोस्टर छपवाया गया पोस्टर में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की तस्वीर गायब थी, जब पता लगाया आखिर क्यों नहीं है तो पता चला साहब ने कार्यक्रम में आने की सहमति नहीं दी इसलिए पोस्ट में नहीं जगा दी गई लेकिन बाद में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे नेताजी को समझाया गया की बीजेपी से मुद्दा बना सकती है तो फिर कमलनाथ को पोस्टर में एंट्री मिल गई।
लंबे समय के बाद एमपी बीजेपी के अंदर नाराज़गी को लेकर किसी नेता ने खुलकर बयानबाजी की लेकिन संगठन का ऐसा चाबुक चला की नेताजी ने अब चुप्पी साध ली है….सार्वजनिक बयानबाजी करने वाले नेताजी अब अपने डिपार्टमेंट की जानकारी देने के मामले में भी कैमरे से दूरी बना रहे हैं, कैमरा देखकर मंत्री जी कुछ दिन पहले ऐसा रफूचक्कर हुए की चर्चा चल रही है खुद को दबंग कहने वाले नेताजी को संगठन कौन सी चुप्पी वाली गोली खिला दी है।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में आमतौर पर अफसर पोस्टिंग के लिए प्रार्थना करते थे। लेकिन, अब मामला उल्टा हो गया है। दरअसल, उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारी शुरू हो चुकी है। शहर की कायाकल्प की तैयार में सरकार जुटी है। अपने-अपने कार्यों में महारत हासिल छोटे-बड़े अफसरों की तैनाती के लिए नाम सूचीबद्ध किए जा रहे हैं। अब मुख्यमंत्री का ग्रह नगर है, कोई मजाक नहीं है भाई। नगरीय विकास एवं आवास विभाग और पीडब्ल्यूडी के अफसर हैं कि उज्जैन सिंहस्थ के नाम से ही तौबा कर रहे हैं। वैसे आनाकानी करने वाले विभागों में पीएचई और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अफसरों के नाम भी शामिल हैं। खेर अफसर भी जानते हैं यहां मलाई भी आसान नहीं तो कलाई कौन तुड़वाए।
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