बिलासपुर—हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए प्रदेश सरकार के आदेश पर जारी निकाय परिसीमन की प्रक्रिया पर रोग लगा दिया है। जानकारी देते चलें कि शासन के आदेश पर परिसीमन की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। इस दौरान दावुा आपत्ती मांगा गया था। परिसीमन के खिलाफ कई याचिकाकर्ताओं की एक साथ सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया है।
जानकारी देते चलें कि निकट नवम्बर दिसम्बर के आसपास निकाय चुनाव होना है। इसके पहले शासन ने एक आदेश जारी कर प्रदेश के निकायों का परिसीमन किए जाने का आदेश दिया। शासन के निर्देशों का पालन करते हुए बिलासपुर निगम समेत कई निकायों का परिसीमन किया गया। शासन के आदेशानुसार परिसीमन के दौरान जनसंख्या को आधार बनाकर परिसीमन किया जाना था। लेकिन इसमें कई खामियां पायी गयी। खासकर बिलासपुर निगम में भी परिसीमन के दौरान वार्डों की सीमा निर्धारित करते समय जनसंख्या को गंभीरता से नहीं लिया गया।
दावा आपत्ती के बाद कांग्रेस नेताओं समेत आमजन ने 22 जुलाई को कलेक्टर के सामने समूह में दावा आपत्ती पेश किया। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि परिसीमन मे मूल आदेश का पालन नहीं किया गया है। किसी वार्ड में 4000 तो किसी में 15 हजार मतदाता हैं। इसी तरह राजनांद नगर निगम,कुम्हारी नगर पालिका,बेमेतरा नगर पंचायत और तखतपुर में वार्डों के परिसीमन विसंगतिया सामने आयी। लोगों ने विसंगतियों के खिलाफ अलग अलग याचिका दायर किया।
सभी याचिका को मर्ज कर जस्टिस पीपी साहू की सिंंगल बेंच में सुना गया। याचिकाकर्ताओं की तरफ से बताया गया कि राज्य सरकार ने जनसंख्या के आधार पर वार्ड परिसीमन का आदेश दिया। शासन के अनुसार 2011 के जनगणना को आधार बनाकर परिसीमन किया जाना है।याचिकाकर्ता ने बताया कि वार्ड परिसीमन के लिए राज्य सरकार ने सर्कुलर जारी कर परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है। साथ ही प्रत्येक वार्ड में समानुपातिक नियमों का पालन कर मतदाता संख्या का निर्धारण करना है। बावजूद इसके नियमों का पालन नही किया है। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने मामले की सुनवाई तक परिसीमन प्रक्रिया पर रोक लगा दिया है।