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प्रशासन ने दिखाए तेवर: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को दी चेतावनी, 48 घंटे के भीतर काम पर लौटें वरना….

कलेक्टर दर पर वेतन समेत 6 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना दे रहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को 48 घंटे के भीतर काम में वापस लौटने का आदेश जारी किया गया है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन को लेकर प्रशासन से सख्ती दिखाई है। कलेक्टर दर पर वेतन समेत 6 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना दे रहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को 48 घंटे के भीतर काम में वापस लौटने का आदेश जारी किया गया है। आदेश के मुताबिक हड़ताल बंद न करने पर नौकरी से निकालने और सैलरी रोकने की बात कही गई है। वहीं मानदेय का भुगतान लंबित रखा जाएगा। 

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का बड़े स्तर पर आंदोलन जारी है। धरना स्थल पर जगह न मिलने के कारण अलग-अलग जिलों में महिलाएं आंदोलनरत कर रही हैं। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का प्रदर्शन चल रहा है। 

इन मांगों को लेकर धरने पर
बता दें कि प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं कलेक्टर दर पर वेतन, सुपरवाइजर पद पर शत प्रतिशत कार्यकर्ताओं को लेने, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रायमरी स्कूल के शिक्षक के रूप में दर्जा और वेतन देने, मिनी आंगनबाड़ी को पूर्ण आंगनबाड़ी करने, सेवा समाप्ति के बाद 5 लाख कार्यकर्ताओं को एक मुश्त राशि देने, काम करने के लिए मोबाइल देने, सहायिकाओं को कार्यकर्ता पद पर पदोन्नत करने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं।

सरकार ने की वादा खिलाफी

छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की प्रांताध्यक्ष सरिता पाठक एवं सचिव सुमन यादव ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओँका कार्य बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाना, गर्भवती, शिशुओं का स्वास्थ्य बेहतर हो इसके लिए टीकाकरण करना। इसके अलावा शासन की अन्य योजनाओं में गांव-गांव में जागरूकता फैलाना है। चुनाव से पहले कांग्रेसी नेताओं ने वादा किया था कि वे सत्ता में आए तो मांगें पूरी की जाएगी। दो साल में एक भी मांग नहीं मानी गई।

 

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