शैव, शाक्त, वैष्णव परंपरा सहित 127 संप्रदायों और 13 अखाड़ों के चार हजार से अधिक संत-महंत, श्री महंत और महामंडलेश्वर रामलला के विराजमान होने के साक्षी बनने के लिए अयोध्या पहुंच चुके हैं। अयोध्या के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब सनातन धर्म की सभी धाराओं का एकसाथ सरयू के तट पर संगम हो रहा है।
जय श्रीराम-जय श्रीराम। यही जयघोष पूरी रामनगरी में गूंज रहा है। शैव, शाक्त, वैष्णव परंपरा सहित 127 संप्रदायों और 13 अखाड़ों के चार हजार से अधिक संत-महंत, श्री महंत और महामंडलेश्वर रामलला के विराजमान होने के साक्षी बनने के लिए अयोध्या पहुंच चुके हैं। अयोध्या के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब सनातन धर्म की सभी धाराओं का एकसाथ सरयू के तट पर संगम हो रहा है। सरयू का किनारा हो, हनुमान गढ़ी हो, कारसेवकपुरम हो या अयोध्या की सड़कें…हर जगह साधु-संत रामनाम जप रहे हैं। अयोध्या आने वाले संतों से बातचीत की तो सभी ने एकस्वर में कहा, यह सब रामकृपा से ही हो रहा है।
प्रशस्त होगा उन्नति का मार्ग
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती कहते हैं, श्रीराममंदिर निर्माण के साथ अयोध्या ही नहीं, संपूर्ण राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। धर्म क्षेत्र में नवाचार होगा। 500 वर्षों का संघर्ष और हर एक सनातन धर्मी का स्वप्न अयोध्या धाम में अब पूर्ण हो चुका है। राममंदिर निर्माण के साथ ही रामलला भी विराजमान हो चुके हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अयोध्या के दिन फिर जाएंगे। पर्यटन की दृष्टि से नवक्रांति का सूत्रपात होगा। इससे स्थानीय निवासियों व व्यापारियों को आर्थिक लाभ होगा।
संतों की साधना और त्याग का परिणाम हो रहा फलित
मूल प्रकृति श्री राधापीठ संत कबीरनगर के पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वृंदावनदासाचार्य कहते हैं संतों की साधना और त्याग का परिणाम आज फलित हो रहा है। पूरी दुनिया रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की साक्षी बन रही है। देवराहा बाबा का संकल्प भव्यतम राममंदिर के रूप में पूर्ण हो रहा है। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरी ने कहा, श्रीराम मंदिर के रूप में राष्ट्र मंदिर का निर्माण हो रहा है।
रामजी के जन्म से ही है किन्नर समाज का नाता
किन्नर अखाड़ा उज्जैन की महामंडलेश्वर पवित्रानंद गिरि और किन्नर अखाड़ा प्रयागराज की महामंडलेश्वर कौशल्या नंदन गिरी काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि राम जी का आदेश था इसलिए हम लोग भी पहुंचे हैं। रामजी से किन्नर समाज का बहुत गहरा नाता है। त्रेतायुग में जब रामलला का जन्म हुआ था तो किन्नरों ने बधाई दी। उनका विवाह हुआ था तब भी बधाई ली थी। वनवास से अयोध्या लौटे तो सबसे पहले किन्नर ही मिले थे। आज जब रामजी अपने महल में विराजमान होने जा रहे हैं तो किन्नर अखाड़ा भी इस आयोजन का हिस्सा बन रहा है।
प्राण प्रतिष्ठा उचित, जागृत होगी वैश्विक चेतना
रामलला 37 सालों से टेंट में रह रहे थे। ऐसे में मंदिर के एक तल का निर्माण पूरा होने पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा उचित है। प्राण प्रतिष्ठा का कार्य जगत कल्याणकारी है। दशावतार में भगवान राम का अवतार प्रमुख है। प्राण प्रतिष्ठा वैश्विक चेतना को जागृत करेगी। प्रभु राम की कृपा संपूर्ण भारतवासियों और विश्व के सभी भक्तों को प्राप्त होगा। अयोध्या व कांची का संबंध त्रेतायुग से है। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा समारोह के साक्षी बनने का परम सौभाग्य मिल रहा है। -शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती, कांची कामकोटि पीठ
साकार होगी रामराज्य की संकल्पना
सतुआ बाबा आश्रम, वाराणसी के महामंडलेश्वर संतोष दास कहते हैं कि पृथ्वी पर इससे बड़ा दूसरा अवसर नहीं होगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ रामलला के नेत्र खुलते ही देश में रामराज्य की संकल्पना भी साकार होगी। इससे नए युग का सूत्रपात होगा। राम का विरोध करने वालों को अब 14 साल के वनवास पर जाने की जरूरत है। उन्हें संपूर्ण भारत से क्षमा मांगनी चाहिए।
अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी ने कहा, भगवान राम की कृपा से इस आयोजन का हिस्सा बनने का अवसर मिल रहा है। साधु-संत रामलला के विराजमान होने पर जो आनंद का अनुभव कर रहे हैं, उसका शब्दों में वर्णन आसान नहीं है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी प्रसन्नता से भरकर कहते हैं कि सनातन धर्मियों के लिए स्वर्णमयी स्वप्न साकार हो रहा है। भगवान राम की ही कृपा है कि आज उनके प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शैव शाक्त और वैष्णव के साथ ही सनातन धर्म की सभी धाराओं का मिलन अयोध्या धाम में हो रहा है। निरंजनी अखाड़ा परिषद हरिद्वार के महंत स्वामी विजयानंद सरस्वती कहते हैं कि राममंदिर के लिए न जाने कितने कारसेवकों, साधु-संतों ने प्राणों का उत्सर्ग किया। हम अति सौभाग्शाली हैं कि अपनी आंखों के सामने राममंदिर का निर्माण देख रहे हैं। यह भगवान राम की ही कृपा है जो हम सभी सनातनियों पर आशीर्वाद के रूप में बरस रही है।
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