रायपुर | संवाददाता : 2016-17 के रेल बजट में शामिल छत्तीसगढ़ के कोरबा से अंबिकापुर तक रेल लाइन बिछाने की योजना को लेकर रेल मंत्रालय की नींद फिर से खुल गई है.
साढ़े आठ साल बाद अब रेलवे ने इस रेल लाइन के अंतिम सर्वेक्षण को मंजूरी दी है.
कहा जा रहा है कि सरगुजा-कोरबा में निजी कंपनियों की कोयला खदानों से कोयला परिवहन को लक्ष्य कर इसे ठंडे बस्ते से निकाला जा रहा है.
असल में 2016-17 में छत्तीसगढ़ के कोरबा से अंबिकापुर और वहां से उत्तर प्रदेश के रेणुकूट तक 351 किलोमीटर रेल पटरी बिछाने को शामिल किया गया था.
इसका सर्वेक्षण भी कराया गया.
इसके बाद इसकी रिपोर्ट 14 जनवरी 2020 को केंद्रीय रेलवे बोर्ड को भेजी भी गई. लेकिन इसके बाद रेलवे ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया.
अब बजट में शामिल होने के साढ़े आठ साल बाद और विस्तृत सर्वेक्षण की रिपोर्ट के साढ़े चार साल बाद, एक बार फिर से इस रेल लाइन के अंतिम सर्वेक्षण को मंजूरी दी गई है.
इसके लिए कोरबा से अंबिकापुर 180 किलोमीटर नई रेल पटरी निर्माण के लिए अंतिम सर्वे व विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने हेतु रेल मंत्रालय द्वारा 16.75 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है.
हालांकि अंबिकापुर से रेनुकूट तक 152 किलोमीटर की रेल परियोजना का सर्वे व विस्तृत कार्ययोजना 16 अक्टूबर 2023 को ही जमा कर दिया गया है.
लेकिन कोरबा-अंबिकापुर की अंतिम रिपोर्ट कब तक तैयार हो पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा.
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से झारखंड के बरवाडीह तक अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन का काम आज़ादी के पहले शुरु हुआ था. कई पुल-पुलिया बने, रेल पटरियां बिछाई गईं और फिर देश से ब्रिटिश राज की विदाई के साथ ही यह रेल परियोजना फाइलों में चली गई.
बरसों बाद, केंगल हनुमंतैया से लेकर जार्ज फर्नांडिस और रामविलास पासवान से लेकर लालू यादव तक के कार्यकाल में इस रेल परियोजना की फाइलों से धूल झाड़ी गई और फिर उसे वापस रख दिया गया.
2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद भी इस रेल पटरी की चर्चा होती रही.
पिछले साल 27 जुलाई 2023 को अंबिकापुर-बरवाडीह 199.98 किलोमीटर रेल पटरी बिछाने की अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट भी सौंपी जा चुकी है.
इस साल 17 जुलाई को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रेल मंत्री से मुलाकात कर इस योजना का काम जल्दी शुरु करने की मांग की है.
रेलवे की 2018 की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में कई रेल लाइन स्वीकृत हैं.
इनमें खरसिया से धरमजयगढ़ 102 किलोमीटर (लागत-3055 करोड़), बरवाडीह-चिरमिरी 105 किलोमीटर (656 करोड़), खरसिया-बलौदाबाज़ार-नया रायपुर-दुर्ग 266 किलोमीटर (4,900 करोड़) जैसी लाइनें शामिल हैं.
इसके अलावा डोंगरगढ़-खैरागढ़-कवराधा-कटघोरा 277 किलोमीटर (लागत 4,821 करोड़), धरमजयगढ़-कोरबा 63 किलोमीटर (1,154 करोड़) जैसी रेल लाइनें शामिल हैं.
इसी तरह रायगढ़-घरघोड़ा, नारायणपुर-दंतेवाड़ा, साजा-भाटापारा, सूरजगढ़-बीजापुर, रायपुर-राजिम-गरियाबंद-मैनपुर-देवभोग-बिस्समकटक, भटगांव-प्रतापपुर-वाड्रफनगर-रेणुकूट, अंबिकापुर-गढ़वा रेल लाइन का सर्वे भी कई सालों से फाइलों में है.
रायपुर-बलौदाबाज़ार-झारसुगुड़ा 310 किलोमीटर रेल परियोजना को रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने तब के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कहने पर स्वीकृत की थी.
लेकिन यह स्वीकृति भी फाइलों में दब कर रह गई.
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