बिलासपुर… रेलवे प्रबंधन की तरफ से सभी ट्रेन बहाल करने के वादे पर नागरिक सुरक्षा मंच ने ट्रेन रोको आंदोलन स्थगित कर दिया है। ट्रेनों की लेटलतीफी और लगातार रद्द किए जाने पर नागरिक सुरक्षा मंच ने 12 अक्टूबर को ट्रेन रोको आंदोलन का आहवाहन किया था। 11 अक्टूबर को रेलवे प्रबंधन से चर्चा के बाद नागरिक संघर्ष मंच ने आंदोलन स्थगित कर दिया है। चर्चा में डीआरएम और सीनियर डीसीएम ने शिरकत किया।
आंदोलन का असर
मार्च माह से लगातार यात्री ट्रेने निरस्त होने के साथ घण्टों लेट चल रही है। इसके अलावा प्रबंधन ने छोटे स्टेशनों में ट्रेनों के स्टॉपेज भी खत्म कर दिया। प्रबंधन के निर्णय के खिलाफ पिछले दिनों नागरिक सुरक्षा मंच ने अमित तिवारी के नेतृत्व में जीएम ऑफिस का घेराव किया था। मालगाड़ियों का परिवहन ठप्प करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद नींद से जागे रेलवे प्रबंधन ने आंदोलन के ठीक पहले मंच को चर्चा के लिए बुलाया।
प्रबंधन से बातचीत
नागरिक सुरक्षा मंच के अमित तिवारी, अभय नारायण राय, महेश दुबे, अकबर खान, जावेद मेनन, गुड्डा मिश्रा, राजू जाधव, अमित दुबे, संतोष गर्ग और अन्य रेलवे प्रबंधन के बुलावे पर डीआरएम से चर्चा करने पहुँचे। डीआरएम प्रवीण पांडेय और डीसीएम विकास कश्यप से उनकी सँयुक्त चर्चा हुई। चर्चा में अभय नारायण ने कहा कि आजादी से पहले चली आ रही स्टेशनों में ट्रेनों का स्टॉपेज बंद कर दिया गया है। कोटा और बेलगहना जैसी स्टेशनो से खोवा, दूध की आपूर्ति शहर समेत पूरे संभाग में होती है। छोटे स्टेशनों पर से कई ग्रामीणों का अर्थतंत्र जुड़ा हुआ है।
बढ़ गया आर्थिक बोझ
कांग्रेस प्रवक्ता अभय राय ने कहा कि पहले गौरेला पेंड्रा का आदमी बीमार पड़ता था तो 100 रुपये में बिलासपुर पहुँच जाता था। अब उसे 3 हजार से अधिक खर्च करना पड़ रहा है। यही हाल रेलवे कर्मचारियों का है। पहले ट्रेन से ही इन स्टेशनों में ड्यूटी करने पहुँच जाते थे। लेकिन उन्हें अब अपनी स्वयं की गाड़ी और पेट्रोल लगा कर ड्यूटी करने छोटे स्टेशनों में जाना पड़ता है।जिससे इन पर भी आर्थिक भार पड़ता है। डीआरएम ने कहा कि रेलवे विभिन्न स्टॉपेज पर ट्रेने नही रोकने का फैसला कई मानकों पर लेती है। वहां से टिकट की बिक्री कम होने की वजह से स्टॉपेज बंद करने का निर्णय रेलवे बोर्ड से लिया जाता है। जिस पर अमित तिवारी ने विरोध किया उन्होंने कहा कि बिलासपुर सर्वाधिक कमाई देने वाला जोन है। जिस प्रकार एक माता पिता की 4 संताने होती है और उसमें सबसे अधिक कमाई करने वाले संतान की तवज्जो ज्यादा होती है। ठीक उसी प्रकार जोन को ज्यादा तव्वजो मिलनी चाहिए। अमित तिवारी ने आगे कहा कि रेलवे सिर्फ फायदे के लिए ट्रेनें नही चलाती बल्कि यात्री सुविधाओं के लिए भी ट्रेनें चलाती है। लिहाजा यहां कमाई के साथ सुविधाओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। और ट्रेन बहाल करनी चाहिए।
अब टाइम नही दिन बदल जाता है
महेश दुबे ने ट्रेनों की लेट लतीफी पर प्रश्न उठाया । उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था कि हम ट्रेनों की टाइमिंग से अपनी घड़ी मिलाते थे और अब ट्रेनों का इंतजार करते दिन बदल जाता है।
अकबर खान ने कहा कि हम कोई व्यक्तिगत मांग करने नही आये हैं ।बल्कि बिलासपुर की जनता के हितों के लिए मांग करने आए हैं। इसे हर हाल में पूरा होना ही चाहिए।
नागरिक मंच ने एक स्वर में अधिकारियों को बताया कि बिलासपुर की जनता ने रेलवे जोन लड़ कर लिया है। और आगे भी यहां की जनता अपने हक के लिए लड़ने को तैयार है।
बढ़ गया दबाव
चर्चा के बाद डीआरएम प्रवीण पांडेय ने मंच को आश्वस्त करते हुए कहा कि कुछ ही दिनों पहले उन्होंने यहां चार्ज सम्हाला है। और यात्री सुविधाओं की दिशा में वाजिब कदम उठाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने रेलवे की तरफ से तकनिकी जानकारियां देते हुए बताया कि जिस तरह सडक पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ने से सड़क चौड़ी करण किया जाता है। ठीक उसी तरह लेन बढ़ाने के लिए रेलवे में इंटरलॉकिंग कार्य किया जाता है । जिससे ट्रेनें बंद करनी पड़ती है।
डीआरएम ने सर्वाधिक कमाई का जोन
डीआरएम ने स्पष्ट किया कि बिलासपुर जोन एक अर्थतंत्र की तरह है । रेलवे और यात्री एक दूसरे के पूरक हैं। यहां माल लदान से देश में सर्वाधिक कमाई होती है। साथ ही रेलवे का बड़ा स्टाफ़। यहां है जो लोग भी यहां रेलवे से सैलरी लेकर यहां के मार्केट से खरीदी भी करते है । जिससे यहां का बाजार भी बढ़ता है। यहां के लोगो को फायदा होता है। ठीक उसी प्रकार यहां के लोगो को भी यात्री सुविधाएं रेलवे देती है।
विकास में 10 साल पीछे
डीआरएम ने बताया कि यहां की जनसंख्या के हिसाब से यहां रेलवे की तीसरी और चौथी लेन का कार्य अब से दस वर्ष पहले हो जाना था । जिस अब शुरू किया गया है। यह जोन की जनता को सुविधा देने के हिसाब से ही शुरू हुई है। इसके लिए ट्रेनें रोकनी पडती है। क्योंकि जब किसी एक पटरी या लेन पर कार्य किया जाता। जिसे हम एनआई कहते हैं। तब बाजू की पटरी से ट्रेनें बहुत धीमी गति से निकलती है ।लिहाजा ट्रेन दस से बारह घण्टे लेट होती है। इतना अधिक विलंब होने के चलते ट्रेनों को निरस्त करना पड़ता है।
डीआरएम ने बताया कि कार्य पूर्णता की ओर है। जल्द से जल्द ही ट्रेनों को बहाल कर दिया जाएगा और इनकी लेट लतीफी भी बंद हो जाएगी।
मीडिया में नहीं आती जानकारी
डीसीएम विकास कश्यप ने बताया जानकारी कि जिस अवधि में ट्रेनें बंद होती है। उस दौरान रूट से चलने वाली मालगाड़ियों को भी बंद किया जाता है। ऐसा नही है कि यात्री सुविधाओं के साथ समझौता कर के मालगाड़िया चलाई जाती है। लेकिन इस बात की जानकारी मीडिया में नही आती है। जिससे लोगो को लगता है कि यात्री ट्रेनों को निरस्त कर मालगाड़िया चलाई जा रही है।
अब नहीं होगी लेट
डीसीएम ने बताया कि बिलासपुर से कटनी के बीच कई विकास कार्य चल रहे हैं। कई जगह लोडिंग स्टेशन बन रहा है। तो कई जगह स्पीड रेसिंग का काम चल रहा है। जिससे हम आने वाले समय मे कोयला परिवहन के साथ और भी ट्रेनें चला सकेंगे। विकास कुमार ने बताया कि कोविड से पहले जोन के पास 91 ट्रेनें थी । जिनमे से 89 ट्रेनों (57 एक्सप्रे+ 32 लोकल) को दो से तीन दिनों में ही रेगुलर शुरू कर दी जाएंगी। इसमें कोई लेट लतीफी भी नही होगी। साथ ही दो ट्रेनों जिनमे बीकानेर और अंत्योदय एक्सप्रेस है । उनको भी जल्द शुरू करने की कोशिश की जाएंगी।
प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा
छोटे स्टॉपेज में ट्रेन रोकने का निर्णय यहां से न होकर बोर्ड से होने की बात अधिकारियों ने कही। इसके लिए प्रस्ताव बना कर देने की बात मंच के लोगो से अधिकारियों से की। साथ ही कहा कि आपके प्रस्ताव को बोर्ड को भेजा जाएगा।
15 दिन का अल्टिटीमेट
ट्रेनें बहाल करने के निर्णय पर नागरिक सुरक्षा मंच ने कल होने वाला अपना रेल रोको आंदोलन स्थगित कर दिया है। साथ ही मंच के संयोजक अमित तिवारी ने कहा कि ट्रेनें बहाल करने के अधिकारियों के आश्ववसन पर रेल रोको आंदोलन स्थगित किया गया है। यदि 15 दिनों में सारी यात्री ट्रेनें बहाल नही होती तो फिर रेल रोको आंदोलन हमे मजबूरन करना पड़ेगा।
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