कोरबा| संवाददाताः उस मताए हाथी पर छत्तीसगढ़ के दो बेटियां लगभग 5 घंटे तक बैठी रहीं. हाथी पूरे शहर में उत्पात मचाता रहा. गाड़ियों को, लोगों को कुचलता रहा. सबकी सांसें रुकी रहीं कि हाथी की पीठ पर बैठी दो छोटी बच्चियों का क्या होगा! लेकिन पांच घंटे से भी अधिक समय तक उत्पात मचाने वाले हाथी पर अंततः महावत ने काबू पा लिया.
सोशल मीडिया पर बिहार के सारण ज़िले के भुईली गांव का यह वीडियो वायरल है.
इसमें हाथी पर सवार जो दो बेटियां हैं, वो छत्तीसगढ़ के कोरबा की रहने वाली हैं.
कोरबा के रहने वाले यू ट्यूबर मुकेश भारती अपनी दो बेटियों 6 साल की यशस्वी और 10 साल की प्रियांशी के साथ छुट्टियों में अपने गांव गए थे.
गांव में ही धार्मिक जुलूस के दौरान यह हादसा हुआ.
यशस्वी के अनुसार उन्होंने पिछले साल गांव में हाथी पर बैठने की जिद्द की थी. लेकिन छोटी होने के कारण उनके पिता ने उन्हें टाल दिया था. लेकिन इस साल जब फिर गांव के धार्मिक जुलूस में महावत हाथी ले कर निकले तो उन्होंने हाथी पर बैठने की जिद्द की.
पिता ने अपने दोनों बेटियों यशस्वी और प्रियांशी को महावतों के साथ हाथी पर बैठा दिया. लेकिन यह क्या, दो महावतों की उपस्थिति के बाद भी हाथी बेकाबू हो गया.
गुस्साए हाथी ने करीब पांच घंटे तक बाजार क्षेत्र में जमकर उत्पात मचाया. हाथी ने कई कार और बाइक को नुकसान पहुंचाया. एक युवक को हाथी ने पटक-पटक कर मार डाला.
जुलूस के साथ चल रहे हाथी ने जैसे ही सफेद रंग की एक कार देखी और भीड़ का शोर सुना, वह अचानक भड़क गया. इसके बाद हाथी बेकाबू हो गया और मेले के मुख्य मार्ग पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया.
हाथी ने दो कारों और तीन मोटरसाइकिलों को बुरी तरह से कुचल दिया. साथ ही हाथी ने आसपास के दुकानों में रखे सामानों को भी नुकसान पहुंचाया.
इस बीच हाथी ने तारकेश्वर यादव नाम के युवक को पटक-पटक कर मार दिया.
एक सवारी बस को भी हाथी ने धकेल कर गिराने की कोशिश की.
हाथी के उत्पात से मेले में अफरा-तफरी का माहौल बन गया था. इस बीच कई लोगों ने भागकर अपनी जान बचाई.
काफी मशक्कत के बाद हाथी के महावत और अन्य महावतों की मदद से जंगल के इलाके में ले जाने में सफलता पाई, जहां हाथी को जंजीरों से बांधा गया और दोनों महावत समेत यशस्वी और प्रियांशी सकुशल हाथी से उतर पाए.
जुलूस में शामिल करने हाथी को सीवान से एतमा लाया गया था.
हाथी के मालिक अमलोरी निवासी प्रवीण सिंह है. प्रवीण के पास यह हाथी पिछले 15 सालों से है.
हालांकि उन्होंने हाथी को पालने के लिए महावत को दे रखा है. लेकिन उनका सारा खर्च वही वहन करते हैं.
हाथी को खिलाने-पिलाने के लिए हर महीने महावत को वह 12 हजार रुपए देते हैं.
प्रवीण के मुताबिक महावत ने हाथी को मेले में ले जाने की जानकारी नहीं दी थी.
इस संबंध में वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि संभवतः हाथी मेटिंग यानी प्रजनन काल में रहा होगा. इसे मताना भी कहते हैं.
इस इस स्थिति में शोर-शराबा, गाड़ी और भीड़ देखकर वह उत्तेजित हो गया होगा और बेकाबू होकर तोड़फोड़ करने लगा होगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस अवधि में नर हाथी का टेस्टरोन लेबल बढ़ जाता है. इस दौरान हाथी को एकांत में रखा जाता है. हाथी भीड़, शोर और रंग-बिरंगा सामान देखकर उत्तेजित हो जाते हैं.
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