नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की गई थी। जिसके तहत गरीबों को 5 किलो मुफ्त अनाज की घोषणा की गई थी जो अभी तक जारी है। अब इस योजना की अंतिम तिथि आने वाली है इसके पहले सरकार इसकी समय सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार भण्डारण की स्थिति और खरीफ की बुवाई की समीक्षा करने के बाद इस महीने के अंत तक इस योजना का विस्तार करने पर अंतिम फैसला करेगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यदि स्टॉक पर्याप्त होता है और खरीफ की बुवाई में कमी चिंताजनक नहीं होती है तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को और आगे बढ़ाया जा सकता है। एक अधिकारी के अनुसार अगले महीने फैसला लिया जाएगा। अंतिम फैसला लेने से पहले बफर स्टॉक की स्थिति और खरीफ की जांच की जाएगी।
आपको बता दें कि इस योजना के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो साबुत चना मुफ्त दी जाती है। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पहले से उपलब्ध कराए गए सब्सिडी वाले राशन के अतिरिक्त है। इस योजना को मार्च में छह महीने के लिए इस साल सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया था। मिली जानकारी के अनुसार एक अक्टूबर तक देश में भारतीय खाद्य निगम के पास 12.3 मिलियन टन चावल और 23.5 मिलियन टन गेहूं भंडार में होना चाहिए। एक अगस्त तक सरकार के पास केंद्रीय पूल में 28 मिलियन टन चावल और 26.7 मिलियन टन गेहूं था। गेहूं की खरीद मई तक समाप्त हो जाती है जबकि धान की खरीद अक्टूबर में शुरू होती है।
कम बारिश के कारण पिछले वर्ष की तुलना में धान की बुवाई लगभग 6% घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर रह गई है। ऐसे में कोई भी आवंटन मौजूदा स्टॉक से ही करना होगा। सरकार बफर स्टॉक में कमी के बारे में चिंतित है। विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था सामान्य हो रही है। ऐसे में आपातकालीन राहत उपाय को आगे जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।
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बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव की चेतावनी देते हुए कहा, मेरे विचार में विस्तार की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अर्थव्यवस्था सामान्य हो गई है। उन्होंने कहा कि गेहूं का स्टॉक कम है। अगर हम चावल देते हैं तो इसकी कमी का परिणाम भुगतना होगा, क्योंकि इस साल उत्पादन कम होगा। आपको बता दें कि मार्च 2020 में कोविड -19 के प्रकोप के बाद देशव्यापी लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को शुरू किया गया था। अगर योजना को और आगे बढ़ाया जाता है तो सब्सिडी बिल में करीब 90,000 करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है।
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