नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव की गलतियों से सबक लेते हुए भाजपा ने इस बार जीत के लिए ‘सुपर-6 प्लस सुपर स्पेशल वन’ का फॉर्मूला तैयार किया है।
भाजपा आलाकमान ने राज्य के सभी नेताओं को साफ संकेत दे दिया है कि पार्टी की रणनीति के मुताबिक ही टिकट बांटे जाएंगे और उम्मीदवारों को जिस सीट से कहा जाएगा, उसी सीट से चुनाव लड़ना होगा। दूसरी सूची में कुछ नेताओं के टिकटों की घोषणा हो चुकी है और बाकी नेताओं के नाम अगली सूची में आने की उम्मीद है।
भाजपा के सुपर-6 प्लस सुपर स्पेशल वन के फॉर्मूले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी ‘सुपर स्पेशल वन’ हैं।
राज्य में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए पूरे चुनाव के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रखा है। भाजपा की चुनावी रणनीति को इसी बात से समझा जा सकता है कि मोदी पिछले छह महीने में सात बार मध्य प्रदेश का दौरा कर चुके हैं।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी अक्टूबर के पहले सप्ताह में दो बार मध्य प्रदेश के दौरे पर भी रहेंगे। गांधी जयंती के अवसर पर वह 2 अक्टूबर को ग्वालियर और 5 अक्टूबर को जबलपुर का दौरा करेंगे। दोनों शहरों की अपनी यात्रा के दौरान, मोदी विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे।
राज्य में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रही भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के साथ-साथ ‘सुपर-6 फॉर्मूले’ के तहत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली नेताओं की लोकप्रियता और प्रभाव का भी फायदा उठाने की रणनीति बनाई है।
भाजपा की इस सुपर-6 सूची में चार केंद्रीय मंत्री (नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते), एक राष्ट्रीय महासचिव (कैलाश विजयवर्गीय) और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हैं।
इनमें से चार नेताओं को पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उतार दिया है, और पार्टी सूत्रों की मानें तो आने वाली सूची में बाकी दो नेताओं के नाम भी शामिल हो सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक हैं और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के कद्दावर नेता माने जाते हैं। पूर्व में वह मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और शिवराज सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी ग्वालियर चंबल क्षेत्र के कद्दावर नेता माने जाते हैं। सिंधिया राजघराने के उत्तराधिकारी होने के नाते ज्योतिरादित्य प्रदेश के अन्य इलाकों में भी लोकप्रिय हैं। पिछली बार उन्हीं की वजह से कांग्रेस को इस इलाके में बंपर जीत मिली थी, जिससे भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी थी।
लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया भगवा पार्टी के साथ हैं। पार्टी तोमर और सिंधिया की मदद से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटें जीतना चाहती है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल लोधी समुदाय से आते हैं और मध्य प्रदेश के प्रमुख ओबीसी नेता माने जाते हैं। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी समुदाय से आते हैं और पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारकर आदिवासी मतदाताओं को बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक समय लगातार विधानसभा चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाया था और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे थे। उनके पास संगठन और सरकार के साथ चुनाव लड़ने और संगठन का पूरा अनुभव है और वह भाजपा आलाकमान के भी काफी करीबी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा की चुनावी रणनीति में सबसे अहम भूमिका मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की है, जो आज भी अपने दम पर पूरे प्रदेश में पार्टी को कई सीटों पर जीत दिलाने का दमखम रखते हैं।
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