शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक शुक्रवार को संपन्न हो गई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 15 अहम समझौतों पर सहमति बनी है। इन समझौतों को अब जुलाई, 2023 की राष्ट्र प्रमुखों की बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा और सार्वजनिक किया जाएगा।
बैठक में एससीओ के दायरे में पांच और देशों को वार्ता साझीदार के तौर पर शामिल करने का फैसला भी शामिल है। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), म्यांमार, मालदीव, कुवैत और बहरीन शामिल हैं। जबकि ईरान और बेलारूस को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दिया गया है।
बैठक में एससीओ की आधिकारिक भाषा में अंग्रेजी को शामिल करने के प्रस्ताव पर भी सहमति बन गई है। अभी तक रूस और चीन की भाषा मैंड्रियन को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा था। शुक्रवार को हुई बैठक में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान के अलावा उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिजस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। हर देश ने एससीओ को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन साथ ही अपने अपने हितों के मुद्दों को भी परोक्ष तौर पर सामने रखा।
बताया जा रहा है कि जुलाई, 2023 में नई दिल्ली में होने वाली शिखर बैठक में कितने देशों के प्रमुख हिस्सा लेते हैं और उसमें आगे का क्या एजेंडा तय होता है, उस पर एससीओ का भविष्य बहुत हद तक निर्भर करेगा। अभी भी इस संगठन से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर फैसला होना हैं। जैसे इसकी वित्त व्यवस्था या मुख्यालय आदि के विस्तारीकरण संबंधी मुद्दे लंबित है।
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