नई दिल्ली | डेस्क: दुनिया के 252 देशों में भारत वायु प्रदूषण के मामले में दूसरे नंबर पर है. बांग्लादेश इस मामले में पहले नंबर पर है.
भारत में सर्वाधिक वायु प्रदूषित राज्यों में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं.
वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में लोगों की औसत आयु दो साल कम हो गई है. भारत के कई राज्यों में तो औसत आयु 2.9 साल तक कम हो गई है.
शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी) में ऊर्जा नीति संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा बुधवार को एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स AQLI 2024 शीर्षक से जारी अध्ययन रिपोर्ट में यह स्थिति सामने आई है.
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों को पूरा करने के लिए पीएम 2.5 यानी 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण, प्रदूषण को कम किया जाए, तो औसत व्यक्ति 1.9 साल अधिक जी सकता है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि धूम्रपान, शराब और एचआईवी एड्स से भी कहीं अधिक बुरा प्रभाव वायु प्रदूषण के कारण पड़ रहा है.
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में प्रदूषण का स्तर भी अलग-अलग है. लेकिन प्रदूषित इलाकों के लोग, स्वच्छ इलाकों की तुलना में 6 गुणा अधिक प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं.
रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि दुनिया के 94 देशों ने पीएम 2.5 के लिए मानक स्थापित किए थे. लेकिन 37 देश अपने ही मानक का पालन करने में असफल रहे. लेकिन इससे भी भयावह पहलू ये है कि 158 देशों ने ऐसा कोई मानक ही तय नहीं किया है.
AQLI की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और चीन ने कठोर नीतियों को लागू किया है, जिससे प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है. चीन में तो, 2014 में एशिया के दिग्गज देशों द्वारा ‘प्रदूषण के खिलाफ युद्ध’ की घोषणा के बाद वायु प्रदूषण में 41 प्रतिशत की कमी आई है. यही कारण है कि चीन में औसत आयु प्रत्याशा में दो साल की बढ़ोत्तरी हुई है.
इस अध्ययन में कहा गया है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में 2022 में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, पिछले दशक की तुलना में PM2.5 के स्तर में 4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. लेकिन इस सुधार के बाद भी दक्षिण एशिया दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना हुआ है. बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान वैश्विक स्तर पर सबसे प्रदूषित देशों में से हैं.
मध्य और पश्चिम अफ्रीका में वायु प्रदूषण एक प्रमुख स्वास्थ्य खतरा बनकर उभरा है. जहां औसत PM2.5 सांद्रता 22.2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (μg/m3) है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से 4.4 गुना अधिक है. यह प्रदूषण स्तर पूरे क्षेत्र में जीवन प्रत्याशा को औसतन 1.7 वर्ष कम कर रहा है. हालांकि नाइजीरिया, रवांडा, घाना, टोगो जैसे देशों ने प्रदूषण कम करने की दिशा में ज़रुरी क़दम उठाए हैं.
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र प्रदूषण का एक नया बड़ा क्षेत्र बन कर उभरा है. कतर इस क्षेत्र में सबसे प्रदूषित देश है और वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे प्रदूषित देश है, जहाँ PM2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों से 7.8 गुना अधिक है. इराक दूसरे स्थान पर है.
पश्चिम एशियाई देशों में आम तौर पर उत्तरी अफ्रीकी देशों की तुलना में प्रदूषण का स्तर अधिक है. हालांकि यहां वायु प्रदूषण राष्ट्रीय राजधानियों के आसपास केंद्रित है.
दक्षिण पूर्व एशिया में रहने वालों को अभी भी बढ़े हुए वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा में 1.2 साल का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
म्यांमार में वायु प्रदूषण जीवन प्रत्याशा को 2.9 वर्ष तक कम कर रहा है. यह कुपोषण और श्वसन रोगों जैसे अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य खतरों से भी अधिक है.
The post भारत में वायु प्रदूषण बेकाबू, 252 देशों में हम नंबर-2 appeared first on सेंट्रल गोंडवाना ख़बर, ख़बर दुनिया भर.