बिलासपुर—महिलाएं होने वाली शारीरिक परेशानियों और दिक्कतों को नजरअंदाज करने से बचें। यह बातें विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर अपॉलो हॉस्पिटल्स में आयोजित मेगा स्वस्थ जागरूकता और निशुल्क स्वस्थ परीक्षण शिविर में अपोलो के विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों ने कही। कार्यक्रम का आयोजन नगर साहू समाज और अपोलो होपिटल्स के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
अपोलो में आयोजित शिविर में महिला संबधित रोगों की जानकार वरिष्ठ स्त्री रोग चिकित्सक डॉ.रश्मि शर्मा ने कहा कि हमे अच्छी तरह से मालूम है कि महिलाएं अपने काम और जिम्मेदारियों के चलते सेहत को नजर अंदाज करती हैं। जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए। इसके चलते उन्हें आने वाले समय में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रोग के शुरुआती लक्षणों को पहचानने की जरूरत है।
सही उम्र में करें गर्भधारण
डॉ. रश्मि बताया कि 25 से 35 वर्ष की उम्र महिलाओं के लिए गर्भधारण का आदर्श समय होता है। इसके बाद महिलाओं में डिंब की क्वालिटी और संख्या दोनों में कमी आती है। महिलाओं को हार्मोनल परिवर्तन, अनियमित पीरियड्स की समस्या आती है। मुंहासों, हीमोग्लोबिन स्तर, कैल्शियम और प्रोटीन भी प्रभावित होता है। इसलिए डाइट का ख्याल रखना जरूरी है।
महिलाओं में पोषक तत्वों की कमी
डॉक्टर नलिनी ने बताया कि भारतीयों के भोजन में प्रोटीन की कमी होती है। ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे कि प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन बी और डी, ओमेगा -3 फैटी एसिड के लिए स्प्राउट्स, दूध, पनीर, अंडे, मांस, मछली से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी है। फास्ट फूड के ज्यादा सेवन से सेहत कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। मोटापा, हाइपरटेंशन बढ़ता है। ज़रूरी है कि भूख को शांत करने के लिए ज्यादा फैट और नमक वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
कराएं नियमित जांच
डॉक्टर रश्मि ने बताया कि महिलाओं में विटामिन और मिनरल्स की कमी होना आम बात है। तैलीय या तले हुए, सोडियम युक्त और मसालेदार भोजन को ज्यादा नहीं खाएं। भोजन से शरीर का वजन बढ़ सकता है। एसिडिटी हो सकती है। महिलाओं की उम्र 20 साल हो जाए तब डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट से नियमित रूप से विजिट कराएं। सालह के अनुसार लाइफस्टाइल का पालन करें। इस दौरान गायनेकोलॉजिस्ट डॉ रश्मि शर्मा ने महिलाओं को होने वाली कुछ बुनियादी परेशानियों के बारे में भई बताया।
दिक्कतों को न करें नजरंदाज
डाक्टर रश्मि ने बताया कि महिलाओं को जीवन में कई तरह के हार्मोनल चेंजेस से गुजरना पड़ता है। इनमें से कुछ सामान्य तो कुछ परेशानियां करने वाली होती हैं। इसलिए परेशानियों को नजरअंदाज नहीं करते हुए हेल्थ एक्सपर्ट के सम्पर्क में रहें।
पीरियड्स के दौरान दर्द
डॉ शर्मा ने बताया कि कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान तेज दर्द होता है। दर्द को डिसमेनोरिया कहा जाता है। दर्द की वजह से महिलाएं अपना काम नहीं कर पाती हैं। इससे उनके जीवन में काफी परेशानियां आती हैं। इसकी जांच तत्काल कराएं। इसके लिए क्लीनिकल जांच और पेल्विक सोनोग्राफी की आवश्यकता होती है।
सेक्स के बाद ब्लीडिंग
डॉ.शऱ्मा ने कहा कि सेक्स के दौरान या दो पीरियड्स के बीच ब्लिडिंग ठीक नहीं होता है। इसकी मुख्य वजह सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन है। जिसे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज या सर्वाइकल कैंसर या संक्रमण भी कहा जाता है। डाइग्नोस के लिए पैप स्मीयर और क्लैमाइडिया जैसे टेस्ट से निटल अंगों के क्लियर विजुअलाइजेशन की आवश्यकता होती है। अगर एसटीआई और गर्भाशय ग्रीवा में होने वाले शुरुआती कैंसर का जल्दी पता चल जाए तो इसका पूरी तरह से इलाज संभव है।
वेजाइनल पेन या परेशानी:
यह कई कारणों से हो सकता है। वेजाइनल इंफेक्शन या वेजाइना मुख के पास की त्वचा में फोड़े होने के कारण हो सकता है। कभी-कभी वेजाइनल डिस्चार्ज या खुजली हो सकती है। बिना किसी मेडिकल सलाह के ली गईं दवाएं आमतौर पर कारगर नहीं होती हैं। इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूरी है।
यूरिन लीकेज
मूत्र रिसाव की परेशानी के कारण महिलाएं शर्मिंदगी महसूस करती हैं। अधिकांश महिलाओं को मूत्र रिसाव के बारे में खुल कर बात करने में कठिनाई होती है। आमतौर पर खांसते या छींकते या एक्सरसाइज करते समय होता है। या जब किसी को पेशाब करने की तीव्र इच्छा होती है और टॉयलेट में पहुंचने से पहले ही उनका पेशाब निकल जाता है। कभी-कभी पीछे के मार्ग से पानी जैसा मल या गैस का अनैच्छिक रिसाव होता है। इसके लिए विशेषज्ञ से जांच कराएं। ताकि दिक्कत को बढ़ने से रोका जा सके।
स्तन परिक्षण की सलाह
रेडिशन ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. कृतिका ने बताया कि स्तन कैंसर में अच्छे उपचार के लिए स्तन कैंसर की प्रारंभिक चरण में पहचान महत्वपूर्ण है। यदि नियमित रूप से स्तन की जांच करती हैं तो आप सही समय पर स्तन में होने वाले किसी भी बदलाव का पता लगा सकती हैं। महीने में एक बार मासिक के 1 सप्ताह के भीतर जिन्हें मासिक नहीं आता हैं महीने में किसी दिन किया जाना चाहिए । स्वयं स्तन परिक्षण में बहुत कम समय लगता है। कुछ भी खर्च नहीं होता है। इसे आप अपने घर में कर सकती हैं । यदि परिक्षण के दौरान स्तनों में कोई परिवर्तन मिलता हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।
स्पर्श (Touch)
अपनी तीन मध्य उंगलियों के पैड का उपयोग करें। स्तन क्षेत्र की जांच करने के लिए दबाव की अलग-अलग डिग्री के साथ 25 पैसे जितने गोलाकार दिशा में घुमाएं। अपने बगल में शुरू करें और धीरे धीरे पूरे स्तन की जाँच करें। ऐसा ही दूसरे स्तन के साथ भी करें ।
परिक्षण परिधि (Exam Perimeter)
अपनी अंगुलियों को अपने पूरे स्तन क्षेत्र के ऊपर और नीचे ले जाएँ। कॉलरबोन से स्तन के नीचे और बगल से, आपकी स्तन की हड्डी से आपकी बगल तक ठीक ऐसे ही दूसरे स्तन की जाँच करें।
दर्पण के सामने खड़े हो
दोनों हाथो को अपने शरीर के साथ नीचे की तरफ रखें। जाँच करें कि स्तन के आकार या निपल्स का रंग और बनावट, त्वचा और आपके निपल्स बिंदु की दिशा में कोई परिवर्तन तो नहीं हैं। फिर दोनों हाथो को सर के ऊपर रखे और जाँच करें कि स्तन के आकार या निपल्स का रंग और बनावट, त्वचा और आपके निपल्स बिंदु की दिशा में कोई परिवर्तन तो नहीं हैं।