रायगढ़। खरसिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत करीब 05 साल की बच्ची को घंटों बाथरूम में बंद कर प्रताड़ित किये जाने वाली घटना के संज्ञान में आने पर रात के वक्त ही बच्ची का रेस्क्यू किया गया था। आखिरकार इस मामले में आरोपी शासकीय विद्यालय की प्रधान पाठिका को गिरफ्तार कर न्यायलय में पेश किया गया।
20 अप्रैल की रात महिला बाल विकास और खरसिया पुलिस की टीम ने सूचना पर बालिका का महिला शिक्षिक के घर से रेस्क्यू किया था । पीड़ित बच्ची को संरक्षण की आवश्यकता पर चाईल्ड लाईन रायगढ़ के सुपुर्द किया गया । दिनांक 21.04.23 को बाल कल्याण समिति रायगढ़ के समक्ष बालिका को काउन्सिलिंग के लिये पेश किया गया, बताया जा रहा है कि बालिका डरी सहमी हुई है, जिसकी मनोस्थिति शांत होने पर काउन्सिलिंग किया जावेगा।
इस मामले में आरोपी आशा अग्रवाल, शासकीय विद्यालय ग्राम बासमुडा में प्रधान पाठक है, बच्ची को कुछ माह पहले उसके परिजनों से यह कहकर अपने संरक्षण में लिया था कि वो उसे पढ़ाएगी और उसका ललन-पालन करेगी। इस दौरान पड़ोसियों और घर के एक नौकर से पता चला कि आशा अग्रवाल ने बच्ची को 3 दिन से बाथरुम में बंद कर रखा हैऔर वह उसे भूखा भी रखती है। इस सूचना पर बालिका का रेस्क्यू किया गया।
इस मामले की छानबीन के दौरान यह भी पता चला कि शिक्षिका आशा अग्रवाल के खिलाफ पहले भी एक बच्ची को प्रताड़ित करने के मामले में कार्रवाई हो चुकी है।
इस घटना को लेकर कल जिला बाल संरक्षण अधिकारी रायगढ एवं संयोजक आशियाना खुला आश्रय गृह रायगढ़ से प्राप्त प्रतिवेदन पर पुलिस चौकी, खरसिया में आरोपिया आशा अग्रवाल पति रघुनाथ अग्रवाल, उम्र करीब 52 साल, निवासी सिचांई कालोनी, मदनपुर, खरसिया पर धारा 342 IPC एवं धारा 75 किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर आज आशा अग्रवाल को चौकी खरसिया पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर रिमांड के वास्ते न्यायालय में पेश किया गया है। जहां से उनकी जमानत की अर्जी निरस्त करते हुए उन्हें जेल भेज दिया गया।
प्रताड़ना के इस मामले का खुलासा करने वाले खरसिया के एक स्थानीय पत्रकार ने TRP न्यूज़ से चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने ही इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग एवं पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद तत्काल कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि बमुश्किल 4-5 साल की बच्ची काफी सहमी हुई है और वह अपने परिजनों के बारे ठीक से बता नहीं पा रही है। इसलिए उसके परिजनों को भी नहीं बुलाया जा सका है।
इस मामले में SDO (P) निमिषा पांडेय ने बताया कि आरोपी महिला शिक्षिका आशा अग्रवाल केवल यही बता रही है कि बच्ची के परिजन यहां के हमाल पारा में रहते थे और कचरा बीन कर गुजरा करते थे। वे बच्ची की देखरेख अच्छी तरह नहीं कर पा रहे थे इसलिए उनकी सहमति पर आशा अग्रवाल ने बच्ची को अपने संरक्षण में लिया था। पुलिस ने शिक्षिका के बताये मुताबिक बच्ची के परिजनों की खोजबीन की, मगर उसका कुछ पता नहीं चल सका है। इधर बच्ची ने अपने बयान में बताया कि वह घर पर झाड़ू-पोंछा का काम करती थी। वहीं शिक्षिका ने अपने बचाव में यह भी कहा कि वह बच्ची के लालन-पालन के साथ ही उसे आंगनबाड़ी भी भेजा करती थी।
इस मामले में एक जानकारी यह भी सामने आयी है कि शिक्षिका आशा अग्रवाल का एक बड़ा पुत्र है जो कहीं बाहर रहता है और उनके पति का ब्रेन हेमरेज की वजह से इलाज चल रहा है।
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