नेशन अलर्ट/रायपुर.
मीसाबंदियों को छत्तीसगढ़ में दी जा रही पेंशन पर यहां कांग्रेस सरकार द्वारा लगाई गई रोक पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए रोक को जायज ठहराया है। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद भाजपा पर सौ करोड़ रूपए की बंदरबाट करने का आरोप कांग्रेस द्वारा लगाया गया है। इस पर जनता से माफी मांगने की मांग प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से की गई है।
इस विषय पर सर्वाधिक कड़ा प्रहार प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने किया है। 5 अगस्त 2008 को तत्कालीन रमन सिंह सरकार द्वारा मीसाबंदियों को लाभ पहुंचाने के लिए लागू की गई इस योजना अंतर्गत 300 मीसाबंदियों को लाभ दिया जा रहा था। इस पर शुक्ला ने आपत्ति की है।
वे कहते हैं कि प्रत्येक मीसाबंदी को प्रतिमाह 25 हजार रूपए के हिसाब से तकरीबन 90 से 100 करोड़ रूपए भाजपा और संघ विचारधारा के लोगों के नाम चढ़ा दिए गए। यह पैसा जनता का था और सरकारी खजाने से इसे दिया गया। शुक्ला इसे सरकारी खजाने के दुरूपयोग का स्तरहीन आचरण बताते हैं।
शुक्ला ने कहा कि भाजपा के 15 साल के शासनकाल में प्रदेश में प्रतिदिन कर्ज से परेशान हताश दो किसान आत्महत्या किया करते थे। दरअसल, न तो उन्हें अपनी उपज की पर्याप्त कीमत मिल पा रही थी और न ही भाजपा बोनस देने के अपने वायदे को पूरा कर पाई। और तो और वायदे के बाद भी आदिवासी किसानों को भाजपा शासनकाल में गाय नहीं दी गई।
संचार विभाग के अध्यक्ष कहते हैं कि दरअसल, भाजपा की नियत में ही खोट थी। वह अपने वायदे पूरा करने के स्थान पर भाजपा और संघ से जुड़े लोगों को लाभ पहुंचाने का कार्य कर रही थी। भला हो भूपेश बघेल की सरकार का जिसने मीसाबंदियों को दी जाने वाली पेंशन पर रोक लगा दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कांग्रेस सरकार के निर्णय को जायज ठहराया है।