मुंबई | डेस्क: मुंबई में ताइवान के नए आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र खुलने का असर नज़र आने लगा है. ताइवान के नये ऑफिस खुलने को लेकर चीन ने बौखलाहट भरे अंदाज में टिप्पणी की है.
भारत में यह ताइवान का तीसरा कार्यालय है.
भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखते हुए कहा,”दुनिया में एक ही चीन है और ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है. चीन अपने साथ राजनयिक संबंध रखने वाले किसी भी देश के ताइवान के साथ आधिकारिक संपर्क का कड़ा विरोध करता है. इसमें एक-दूसरे के यहां कार्यालय खोलना भी शामिल है. हमने इस मुद्दे को भारत के समक्ष गंभीरता से उठाया है.”
यू जिंग ने कहा, “चीन का भारत से आग्रह है कि वह ताइवान से संबंधित मामलों को सही से सुलझाए और एक चीन सिद्धांत को लेकर अपनी प्रतिबद्धता का कड़ाई से पालन करे. भारत ताइवान से किसी भी तरह की आधिकारिक बातचीत ना करे और चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की प्रक्रिया को बाधित ना करे.”
चीन स्व-शासित ताइवान को एक अलग विद्रोही प्रांत के रूप में देखता है.
यह द्वीप, जो दक्षिण-पूर्व चीन के तट से लगभग 100 मील की दूरी पर है, सदियों से विभिन्न स्वदेशी जनजातियों का घर रहा है.
लेकिन चीन का मानना है कि अंततः ताइवान, बीजिंग के नियंत्रण में है. यही कारण है कि जब भी दुनिया का कोई देश इससे अपने संबंध बनाने की कोशिश करता है तो चीन उसका पुरज़ोर विरोध करता है.
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