भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी में पति की मौत की खबर सुनकर सदमे में आई पत्नी ने आत्महत्या कर ली। इसके चार दिन बाद एक अन्य व्यक्ति जो अस्पताल में वेंटिलेटर पर था, जब उसे होश आया तो उसने दावा किया वह आत्महत्या करने वाली महिला का पति है।
29 दिसंबर की शाम को जगन्नाथ रेफ्रिजरेशन एजेंसी के दिलीप सामंत्रे तीन अन्य मैकेनिक सीमांचल बिस्वाल, श्रीतम साहू और ज्योति रंजन मल्लिक के साथ भुवनेश्वर के हाई-टेक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की छत पर रखे एसी कंप्रेसर की मरम्मत कर रहे थे, तभी कंप्रेसर में धमाका हो गया।
विस्फोट में दिलीप और उनके साथियों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। निजी अस्पताल के अधिकारियों ने बाद में 30 दिसंबर को घोषणा की कि दिलीप ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
इस खबर से सदमे में आई दिलीप की पत्नी सौम्यश्री जेना ने 1 जनवरी को जतनी पुलिस सीमा के अंतर्गत आने वाले नुआगांव इलाके में अपने माता-पिता के घर पर आत्महत्या कर ली थी।
दिलीप के ससुर सदाशिव जेना ने कहा, ”30 दिसंबर को रात 9.30 बजे डॉक्टरों ने दिलीप को मृत घोषित कर दिया। बाद में शव हमें सौंप दिया। अगली सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव लाकर अंतिम संस्कार किया। अस्पताल अधिकारियों ने हमें बताया कि शव दिलीप का था। इसलिए उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली। अस्पताल की लापरवाही और निकम्मेपन के कारण एक और मासूम की जिंदगी खत्म हो गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसका पता लगाने और हमें न्याय दिलाने के लिए उचित जांच शुरू की जानी चाहिए।”
इस बीच, दिलीप की मां अहल्या सामंत्रे ने कहा कि जब भी वह निजी अस्पताल जाती थीं तो उन्हें उनके बेटे को देखने की अनुमति नहीं दी जाती थी।
निजी अस्पताल की सीईओ स्मिता पाधी ने मीडियाकर्मियों को बताया, ”पायल रेफ्रिजरेशन के बादल साहू, जो घायल मैकेनिकों को जानते थे, ने उन्हें बचाया और नीचे आपातकालीन वार्ड में ले आए। फिर साहू द्वारा घायल व्यक्तियों की पहचान की गई। बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज शुरू किया गया। घायलों के परिजनों ने उनकी पहचान भी की।”
अस्पताल की सीईओ ने कहा कि दुर्भाग्य से, जिस मरीज की पहचान पहले दिलीप सामंत्रे के रूप में की गई थी, उसने 30 दिसंबर को दम तोड़ दिया। एक अन्य मरीज, श्रीतम की भी 3 जनवरी को मौत गई। उसका शव उसके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया और कोई समस्या नहीं हुई।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे अस्पताल में दो और मरीजों का इलाज चल रहा है और उनमें से एक की पहचान ज्योतिरंजन मल्लिक के रूप में हुई है। उनकी हालत गंभीर थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। मल्लिक के साथी, दो अन्य लोग एवं उनके पिता और भाई, उनसे रोज मिलने आते थे।
गुरुवार सुबह जब मरीज की हालत में सुधार हुआ तो उन्हें वेंटिलेटर से बाहर लाया गया और इलाज शुरू किया गया। शाम को जब डॉक्टर ने उसका नाम पूछा तो मरीज ने अपना नाम दिलीप सामंत्रे बताया।
डॉक्टर ने तुरंत मनोचिकित्सक अमृत पत्तोजोशी को सूचित किया, जिन्होंने परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में उनकी जांच की। शख्स ने दिलीप के परिवार और ससुराल के संबंध में पूछे गए सभी सवालों का सही जवाब दिया।
अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मृत व्यक्ति की पहचान स्पष्ट करने के लिए डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। अस्पताल प्रशासन ने गलत पहचान के लिए परिवार को जिम्मेदार ठहराया है।
दूसरी ओर, मृतक ज्योति रंजन मल्लिक के पिता ने कहा कि वह अपने बेटे की पहचान नहीं कर सके क्योंकि उसके चेहरे पर चोट के निशान थे और वह पट्टियों से लिपटा हुआ था।
ज्योति रंजन मल्लिक के परिजन उसका शव लेने की मांग को लेकर अस्पताल के सामने धरने पर बैठ गए हैं। इस बीच, कांग्रेस नेता निशिकांत मिश्रा ने घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
मिश्रा ने कहा, ”हमें इस बात की उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है कि हाई-टेक चिकित्सा अधिकारियों और पुलिस की जानकारी में एक जीवित व्यक्ति को मृत कैसे घोषित कर दिया गया और उसका अंतिम संस्कार कैसे कर दिया गया।
जिस व्यक्ति की पहचान अब दिलीप के रूप में की गई है, उसकी हालत गंभीर है और हमें डर है कि विरोध को दबाने के लिए अस्पताल अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से उसे मार दिया जा सकता है।”