रायपुर | संवाददाता: रायपुर में मेट्रो या लाइट मेट्रो के सपने पहली बार नहीं दिखाए गए हैं. रमन सिंह से लेकर भूपेश बघेल तक यह सपने दिखा चुके हैं. लेकिन आज तक मेट्रो या लाइट मेट्रो, फाइलों और जुबानी जमा खर्च में ही दौड़ती रही.
एक बार फिर रायपुर के महापौर एजाज ढ़ेबर, मास्को में इसके लिए एमओयू करने का दावा कर रहे हैं, वहीं पूर्व मंत्री राजेश मूणत इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
एजाज ढेबर ने दावा किया कि रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित इन्टरनेशनल ट्रांसपोर्ट समिट के दौरान रुस के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर के साथ रायपुर में लाइट मेट्रो रेल चलाने के लिए एमओयू पर साइन किया गया.
इस पर विधायक और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने सवाल उठाया है कि वे निजी हैसियत से आयोजन में गए थे. बिना राज्य और केंद्र की सहमति के, बिना किसी विस्तृत परियोजना के इस तरह का एमओयू नहीं किया जा सकता.
हालांकि दिलचस्प ये है कि इसी साल 21 फरवरी को नगर निगम में महापौर एजाज ढेबर ने अपने बजट में मेट्रो लाइट ट्रेन का प्रावधान रखा था.
उन्होंने 1901 करोड़ 31 लाख 93 हजार रुपयों का बजट पेश किया था.
इसमें शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को गति देने के लिए मेट्रो लाइट ट्रेन की व्यवस्था करने के लिए करीब 500 करोड़ की परियोजना का ऐलान किया गया था.
उन्होंने कहा था कि इसे पीपीपी मोड में पूरा किया जाएगा.
इसे नगर निगम ने पारित भी किया है.
रमन सिंह के दूसरे कार्यकाल में ही मेट्रो चलाने के लिए सर्वे कराया गया था. इसके लिए दिल्ली की एक कंपनी ने इस परियोजना का सर्वे किया था, जिसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने डीपीआर यानी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था.
इस प्रस्ताव में रायपुर से राजनांदगांव तक मेट्रो रेल सेवा शुरू करने की योजना थी.
हालांकि, मेट्रो रेल के संचालन के लिए आवश्यक आबादी नहीं होने का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
पिछली सरकार के मंत्री शिव डहरिया ने भी लाइट मेट्रो रेल परियोजना जल्दी शुरु करने का दावा किया था.
फरवरी 2021 में नगरीय प्रशासन मंत्री शिवकुमार डहरिया ने नई दिल्ली में केंद्रीय आवासीय एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात के बाद दावा किया था कि केंद्रीय मंत्री पुरी ने लाइट मेट्रो रेल परियोजना में सहमति जताई है.
शिव डहरिया का दावा था कि केंद्रीय मंत्री ने इस लाइट मेट्रो का प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए हरी झंडी दे दी है.
लेकिन इस परियोजना का फिर कहीं अता-पता नहीं चला.
पिछले साल भूपेश बघेल की सरकार ने नवा रायपुर, अटल नगर से दुर्ग तक लाइट मेट्रो सेवा शुरू करने का प्रस्ताव बजट में रखा था.
माना जा रहा था कि उनकी सरकार इस दिशा में कोई कदम आगे बढ़ाएगी.
लेकिन बजट के बाद बात आगे नहीं बढ़ी.
आवास पर्यावरण विभाग संभालने के बाद वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इस साल फरवरी में ही रायपुर से राजनांदगांव तक लाइट मेट्रो की बात छेड़ी थी.
मीडिया में इसकी चर्चा हुई कि वित्त मंत्री ने अधिकारियों को इस दिशा में आगे काम करने के निर्देश दिए हैं.
लेकिन इसके बाद बात कहां तक पहुंची, यह पता नहीं चल पाया है.
लाइट मेट्रो सेवा, पारंपरिक भारी मेट्रो सेवा के मुकाबले हल्की और कम लागत वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है. इसे शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ कम करने और परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए विकसित किया गया है.
इस सेवा में छोटे और हल्के रेल डिब्बों का उपयोग किया जाता है, जो अक्सर कम यात्री क्षमता वाले मार्गों पर चलते हैं.
इसकी संरचना हल्की है, हल्के मेट्रो डिब्बों का वजन कम होता है, जिससे निर्माण और रखरखाव की लागत भी कम होती है.
हल्की संरचना और कम भार के कारण, लाइट मेट्रो सेवा ऊर्जा की खपत भी कम करती है. इसके संचालन और रखरखाव में भारी मेट्रो सेवा की तुलना में कम खर्च आता है.
लाइट मेट्रो सेवा का उद्देश्य ऐसे शहरों में मेट्रो रेल सेवा उपलब्ध कराना है, जहां जनसंख्या घनत्व और यात्री संख्या भारी मेट्रो की मांग के लिए पर्याप्त नहीं है.
यह सेवा तेजी से विकसित होते शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ और प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित हो सकती है.
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