राजनांदगांव। भाजपा शासनकाल में स्वास्थ्य सेवाओं के नए नियमों से नाराज मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के 20 डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से मेडिकल कॉलेज के डीन को त्यागपत्र दे दिया है। इनमें सीनियर, जूनियर, संविदा और नियमित डॉक्टर शामिल हैं। अगर इन डॉक्टरों का त्यागपत्र स्वीकार हो जाता है, तो मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल पूरी तरह से बंद हो सकता है, जिससे मरीजों को इलाज मिलने में गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा।
मेडिकल कॉलेज की रीढ़ डॉ. प्रकाश खूंटे भी इस त्यागपत्र देने वाले डॉक्टरों की सूची में शामिल हैं। पहले से ही अस्पताल अन्य कमियों से जूझ रहा था, जैसे डॉक्टरों की कमी, स्टाफ नर्स की कमी, और जरूरी मशीनरी (जैसे सिटी स्कैन, एमआरआई) की अनुपलब्धता, जिन्हें सरकार द्वारा पूरा नहीं किया गया था। अब 20 डॉक्टरों के त्यागपत्र के बाद, अस्पताल में इलाज देने वाले डॉक्टर ही नहीं रहेंगे।
पिछले डेढ़ महीने से अस्पताल में डायलिसिस सेवा भी बंद पड़ी है, जिससे मरीजों को भिलाई और रायपुर के अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ रहा है। ऐसे में गरीबों को इलाज की सुविधा मिलने की उम्मीद बहुत कम हो गई है। यह वही अस्पताल था, जो गरीबों के लिए एकमात्र सहारा था, लेकिन अब वह भी बंद होने की कगार पर है।
मेडिकल कॉलेज में कुल 21 विभाग हैं, जहां प्रत्येक विभाग में कम से कम 10 से 12 डॉक्टरों की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में यह अस्पताल सिर्फ 30 प्रतिशत डॉक्टरों के भरोसे संचालित हो रहा था।
यह स्थिति बहुत चिंताजनक है, खासकर गरीबों के लिए, जो इस सरकारी अस्पताल पर निर्भर थे। सत्ता परिवर्तन के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद थी, लेकिन अब स्थिति और बिगड़ चुकी है। वहीं, विपक्ष ने भी इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
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