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जयपुर.
राजस्थान के साथ ही आज देश बाबोसा के नाम से प्रसिद्ध रहे भैरोसिंह शेखावत को याद कर रहा है. दरअसल, स्वर्गीय शेखावत की आज 101वीं जयंती मनाई जा रही है.
राजस्थान में भाजपा आज जिस मजबूती के साथ खडी़ है उसके पीछे बाबोसा की वर्षों की मेहनत है. उन्होंने पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है. वह तीन मर्तबा मुख्यमंत्री और एक मर्तबा उप राष्ट्रपति रहे हैं.
भैरोसिंह शेखावत का राजनीतिक जीवन 1952 में शुरू हुआ था. इसके पहले वह पुलिस में उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत रहे थे.
भैरोंसिंह का जन्म 23 अक्टूबर, 1923 को सीकर जिले के खचारियावास में हुआ था. उनके पिता एक शाला में अध्यापक पद पर कार्यरत थे.
बाबोसा ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी. इसके बाद उन्होंने पुलिस में नौकरी शुरू की. टॉकीज में मारपीट के एक मामले में वह फंस गए थे. इसके बाद उन्होंने पुलिस की सेवा से त्यागपत्र दे दिया.
भैरोंसिंह का पूरा परिवार एक तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक सँघ से जुडा़ हुआ था. उनके भाई बिशन सिंह अध्यापक काम करते थे.
राजस्थान में जनसंघ का काम देखने वाले लालकृष्ण आडवाणी बिशन सिंह से मिलने उनके घर आए हुए थे. उन्होंने बिशन सिंह से दाता – रामगढ़ सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था.
बिशन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था लेकिन अपने भाई भैरोंसिंह का नाम सुझाया था. आडवाणी ने इस पर सहमति जता दी थी. अब भैरोसिंह चुनावी मैदान में थे.
वह अपनी पत्नी सूरज कंवर से नेग के 10 रुपये लेकर राजनीतिक सफर पर निकल पडे़ थे. जब चुनाव के नतीजे घोषित किए गए तो दाता – रामगढ़ सीट से भैरोंसिंह पहली बार विधायक चुन लिए गए थे.
वह 1972 तक लगातार तीन बार अलग-अलग सीट से विधानसभा के सदस्य बने. भैरोंसिंह 1974 -1977 तक राज्यसभा सांसद भी रहे.
इमरजेंसी के समय उन्हें जेल में डाल दिया गया था. जेलयात्रा उनके लिए सुखद रही. वहाँ से छूटते ही किस्मत पलट गई. यह 1977 की बात है तब राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे.
उस समय 200 विधानसभा सीट में से जनता पार्टी को 150 से ज्यादा सीट मिली थी. जनता पार्टी को बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो उस समय 3 नाम सबसे आगे थे.
तब सीएम के चेहरे के चुनाव में भैरोंसिंह शेखावत ने बाजी मार ली. पहली बार 22 जून, 1977 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने. 15 फरवरी, 1980 सीएम की कुर्सी पर रहे.
भैरोंसिंह ने 15 जुलाई, 1980 – 30 दिसंबर, 1989 तक राजस्थान विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया था. वह 4 मार्च, 1990 को दूसरी बार सीएम बने. इस पद पर 15 दिसंबर 1992 तक विराजमान रहे थे.
भैरोंसिंह ने 4 दिसंबर, 1993 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. शेखावत 1 दिसंबर, 1998 तक मुख्यमंत्री रहे थे.
19 अगस्त, 2002 को भैरोंसिंह शेखावत भारत के उपराष्ट्रपति बने. 21 जुलाई, 2007 तक इस पद रहे. 15 मई, 2010 को भैरों सिंह शेखावत का निधन हो गया था.
बाबोसा का राजनीतिक सफर :
1952 – 1957, दांता – रामगढ़ से जनसंघ विधायक.
1957 – 1962, श्री माधोपुर से जनसंघ विधायक.
1962 – 1967, किशनपोल से विधायक.
1967 – 1972, किशनपोल से विधायक.
1972 : जनसंघ उम्मीदवार के रूप में गांधीनगर से हारे.
1974 – 1977, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद.
1977 – 1980, उपचुनाव के माध्यम से छबड़ा से जनता पार्टी के विधायक.
1980 – 1985, छबड़ा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक.
1985 – 1990, निम्बाहेड़ा से भाजपा विधायक.
*आमेर से भी जीते, लेकिन उस सीट से इस्तीफा दे दिया.
1990 – 1992, धौलपुर से भाजपा विधायक.
*छबड़ा से भी जीते, लेकिन उस सीट से इस्तीफा दे दिया.
1993 – 1998, बाली से भाजपा विधायक.
*गंगानगर से भी चुनाव लड़ा लेकिन वह सीट हार गए. तीसरे स्थान पर रहे.
1998 – 2002, बाली से भाजपा विधायक.